समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 अप्रैल। यूक्रेन के बुचा शहर में रूसी सैनिकों की बर्बरता सामने आने के बाद रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से निलंबित करने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में पास हो गया है। 93 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष वोट किया, जबकि 24 देश इसके खिलाफ रहे. वहीं, 58 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाए रखी और इसमें भारत भी शामिल है। बता दें कि नई दिल्ली ने अब तक इस मुद्दे पर तटस्थ रुख अपनाए रखा है। उसने पहले भी यूएन में हुईं वोटिंग से परहेज किया था।
कूटनीति एकमात्र विकल्प
भारत ने रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर करने के लिए हुई वोटिंग में भाग नहीं लेने पर अपना पक्ष रखा है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत टीएस त्रिमूर्ति ने इस मुद्दे पर कहा, ‘हम बिगड़ रहे हालात को लेकर बेहद चिंतित है और सभी तरह की शत्रुता को खत्म के अपने आह्वान को दोहराते हैं। जब निर्दोष मानव जीवन दांव पर लगा हो तो कूटनीति को एकमात्र व्यवहार्य विकल्प के रूप में माना जाना चाहिए’।
‘भारत केवल शांति का पक्ष चुनेगा’
अपने फैसले के कारण पर प्रकाश डालते हुए भारत ने कहा है कि यूक्रेन में संघर्ष की शुरुआत से ही हम शांति, संवाद और कूटनीतिक रास्ते से मामले के समाधान के पक्ष में खड़े रहे हैं। भारत का साफ तौर पर मानना है कि खून बहाकर और निर्दोष लोगों की कीमत पर कोई समाधान नहीं निकाला जा सकता है। यदि भारत को कोई पक्ष चुनना है तो वह पक्ष शांति के लिए और हिंसा को तत्काल समाप्त करने के लिए हैं।
पिछले महीने भी नहीं की थी वोटिंग
यूक्रेन संकट को लेकर भारत ने अब तक तटस्थ रुख अख्तियार किया है। नई दिल्ली की तरफ से कई मौकों पर कहा गया है कि भारत शांति के पक्ष में है और उम्मीद करता हैं कि बातचीत के जरिए सभी समस्याओं का समाधान तलाशा जाएगा। बता दें कि पिछले माह भी संयुक्त राष्ट्र महासभा ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले की कड़ी निंदा करने वाला प्रस्ताव पारित किया था। भारत ने इस प्रस्ताव पर मतदान में भाग नहीं लिया था।
यंयुक्त राष्ट्र में भारत का सबसे बड़ा बयान
हालांकि, इस सप्ताह की शुरुआत में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अपना अब तक का सबसे कड़ा बयान जारी करते हुए यूक्रेन के बुचा में आम नागरिकों की हत्याओं की निंदा की और एक स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन किया था। भारत ने कहा था कि बुचा को लेकर सामने आई रिपोर्ट परेशान करने वाली हैं। हम इन हत्याओं की स्पष्ट रूप से निंदा करते हैं और एक स्वतंत्र जांच के आह्वान का समर्थन करते हैं। गौरतलब है कि इससे पहले यूएनएचआरसी से किसी सदस्य देश को 2011 में निलंबित किया गया था।
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