समग्र समाचार सेवा
राजस्थान, 17फरवरी।
राजस्थान के रूपनगढ़ में आयोजित एक किसान महापंचायत में राहुल गांधी दो दिन पहले किसानों के बीच थे। यहाँ कुछ ऐसा हुआ, जिसे लेकर कांग्रेस में विवाद की स्थिति बन गई है। बता दें कि रूपनगढ़ में हुई इस किसान महापंचायत के मंच से राहुल गांधी की मौजूदगी में सचिन पायलट को ही मंच से उतरने को कहा गया। इसके बाद सचिन पायलट को मंच से उतरना पड़ा। अब इस बात को लेकर कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कांग्रेस के भविष्य पर सवाल उठाया है।
आचार्य प्रमोद कृष्णम ने सचिन पायलट को मंच से उतर जाने के लिए कहे जाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए ट्वीट कर कहा कि जब किसानों की पंचायत में किसान नेता को ही मंच से उतर जाने के लिए कहा जाता है तो किसानों का भला कैसे हो सकता है। यह सचिन पायलट के अपमान और उपेक्षा का सवाल नहीं है, बल्कि यह कांग्रेस के भविष्य का प्रश्न है।
प्रमोद कृष्णम के ट्वीट के तुरंत बाद सचिन पायलट के समर्थकों ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और सवाल किया कि रैली में उनके नेता की अनदेखी क्यों की गई। रूपनगढ़ में राहुल गांधी की किसान महापंचायत के दौरान सचिन पायलट और कई अन्य नेताओं को शुरू में मंच पर देखा गया था. राहुल गांधी के मंच पर जाने के तुरंत बाद विधायक रामलाल जाट और राजस्थान प्रभारी अजय माकन ने चार नेताओं को छोड़कर सभी को मंच से उतर जाने को कहा था. जिन चार नेताओं को मंच पर उपस्थित रहने को कहा गया था, उनमें राहुल गांधी के अलावा अशोक गहलोत, केसी वेणुगोपाल और गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं।
जब मंच से यह बात कही जा रही थी, उस वक्त पायलट मंच पर ही मौजूद थे. राहुल गांधी ने जैसे ही बोलना शुरू किया, पायलट और माकन ने एक-दूसरे से बात की और दोनों मंच से नीचे उतर गए. इस घटना को सचिन पायलट को ‘मंच से उताराना’ माना गया. प्रमोद कृष्णम ने हाल ही में पूर्व उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट को भविष्य में राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का आशीर्वाद देकर अटकलों को हवा दी थी।
आचार्य कृष्णम ने पायलट के ट्वीट का जवाब देते हुए ट्वीट किया- “मुख्यमंत्री भव (मुख्यमंत्री बनें).” इसके साथ 9 फरवरी को बयाना में निकाली गई किसानों की रैली का फोटो-वीडियो था. वीडियो में पायलट को किसान महापंचायत में उमड़ी विशाल भीड़ को संबोधित करते हुए दिखाया गया है. पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ राजस्थान में किसान महापंचायतों का आयोजन कर रहे हैं और उन्हें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिल रही है. तीन विवादास्पद केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए यह पहल की गई है।
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