समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,18 दिसंबर। उत्तर प्रदेश के संभल संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद अजित सिंह बर्क, जो अपने बयानों और कार्यों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हैं, इन दिनों एक नए विवाद में फंसे हुए हैं। उनके खिलाफ एक FIR दर्ज होने के बाद अब उन्हें गिरफ्तारी का डर सताने लगा है। अपनी गिरफ्तारी से बचने और दर्ज FIR को खारिज कराने के लिए उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट का रुख किया है। इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का माहौल बना दिया है और यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या बर्क पर लगे आरोप सच हैं या यह एक राजनीतिक साजिश का हिस्सा है।
FIR का मामला
बीजेपी सांसद अजित सिंह बर्क के खिलाफ यह FIR संभल जिले के थाना में एक विवादित बयान को लेकर दर्ज की गई है। आरोप है कि सांसद ने अपने बयान में धार्मिक भावनाओं को आहत किया और कुछ ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया, जो सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देने वाले थे। इसी आधार पर उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, जिसमें धर्म, जाति या समुदाय के आधार पर द्वेष फैलाने, सांप्रदायिक उकसावे और धमकियां देने का आरोप लगाया गया है।
इस FIR के बाद से बर्क को गिरफ्तारी का डर सताने लगा और उन्होंने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने कोर्ट से निवेदन किया कि उनके खिलाफ दर्ज FIR को खारिज किया जाए, क्योंकि वह मानते हैं कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और आरोपों में कोई वास्तविकता नहीं है।
बर्क का बचाव
अपने खिलाफ दर्ज FIR के बाद अजित सिंह बर्क ने अपनी सफाई में कहा कि उनके बयान का कोई भी उद्देश्य किसी खास समुदाय या धर्म को ठेस पहुँचाना नहीं था। उन्होंने इसे पूरी तरह से राजनीतिक साजिश बताया और कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। बर्क का कहना था कि जो आरोप उन पर लगाए गए हैं, वे पूरी तरह से निराधार हैं और उन्हें राजनीतिक द्वेष के कारण झूठा फंसाया जा रहा है।
सांसद ने इस मामले को अपनी छवि को धूमिल करने की कोशिश के रूप में देखा है और कोर्ट से आग्रह किया कि वे मामले की निष्पक्ष सुनवाई करें और FIR को खारिज करें। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि उनके बयान का उद्देश्य केवल अपनी राजनीतिक विचारधारा को प्रस्तुत करना था, न कि किसी समुदाय या धर्म के खिलाफ कोई गलत टिप्पणी करना।
पुलिस जांच और गिरफ्तारी का डर
सांसद अजित सिंह बर्क की गिरफ्तारी की संभावना को लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने जांच शुरू कर दी है। हालांकि, इस मामले में पुलिस अभी तक किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है, लेकिन बर्क के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया पूरी की जा रही है। पुलिस इस मामले में गवाहों से बयान दर्ज करने और अन्य प्रमाण जुटाने की कोशिश कर रही है।
हालांकि, बर्क ने अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया है, लेकिन उन्हें डर है कि यदि FIR खारिज नहीं होती है, तो उनकी गिरफ्तारी हो सकती है। ऐसे में उनका पक्ष यह है कि उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं है और यह पूरी घटना एक राजनीति से प्रेरित मामला है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की भूमिका
अब इस मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट की भूमिका अहम होगी। कोर्ट ने सांसद अजित सिंह बर्क की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है और मामले की गहन जांच के बाद निर्णय लिया जाएगा। कोर्ट से उम्मीद की जा रही है कि वह मामले की पूरी निष्पक्षता से सुनवाई करेगा और यह तय करेगा कि क्या सांसद के खिलाफ दर्ज FIR में कोई सच्चाई है या नहीं।
इससे पहले, हाई कोर्ट ने इस मामले में कोई भी आदेश देने से पहले पुलिस को मामले की जांच पूरी करने के निर्देश दिए थे, जिससे यह साफ होता है कि कोर्ट मामले में पूरी निष्पक्षता से काम करेगा और किसी भी पक्ष का पक्षपाती नहीं होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आ रही है। विपक्षी दलों ने बर्क के खिलाफ FIR को सही ठहराया है और यह कहा है कि सांसद को उनके बयानों के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए। वहीं, बीजेपी ने इस मामले में खुलकर बर्क का बचाव किया है और इसे विपक्षी साजिश करार दिया है। पार्टी ने कहा है कि बर्क को राजनीतिक आधार पर फंसाया जा रहा है और यह पूरी घटना भाजपा के खिलाफ एक रणनीतिक हमला है।
निष्कर्ष
संभल सांसद अजित सिंह बर्क के खिलाफ दर्ज FIR और उनके गिरफ्तारी के डर के मामले ने राज्य की राजनीति को एक नया मोड़ दिया है। यह मामला न केवल एक सांसद की गिरफ्तारी के सवाल से जुड़ा है, बल्कि यह देश के राजनीतिक माहौल, मीडिया की भूमिका और कानून-व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इलाहाबाद हाई कोर्ट इस मामले में क्या निर्णय लेता है और क्या बर्क अपनी गिरफ्तारी से बचने में सफल हो पाते हैं।
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