समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 21 नवंबर। समाज की निस्वार्थ भावना से सेवा करने वाले संगठनों और व्यक्तियों को आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भावगत सम्मानित कर रहे थे। आज विज्ञान भवन में संत ईश्वर सम्मान समारोह वर्ष- 2021 का आयोजित किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख डॉक्टर मोहन राव भागवत ने कहा है कि सेवा वीर ही हमारे समाज के रीढ़ है। दुनिया में जितने भी महापुरुष हुए है उससे ज़्यादा भारत में 2०० वर्षों से है और होते आए हैं।
उन्होंने सभी सेवा वीरों को उत्सव मूर्ति कहकर संबोधित किया। डॉक्टर भागवत आज़ संत ईश्वर सम्मान समारोह के अवसर पर बोल रहे थे जिसका आयोजन सेवा भारती .ट्राइब्ज़ इंडिया और भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास परिसंघ भारत सरकार के द्वारा किया गया था। भागवत ने कहा कि वे हमारे लिए आदर्श है और हो रहे है उन्होंने सेवा और सम्मान के बारे में कई संस्मरण सुनाए। उन्होंने कहा कि सेवा मनुष्यता का स्वाभाविक आविष्कार है जो मानव में होता है, जो जानवरो में नहीं होता है।
मानव बुद्धि और कबुद्धि के जाल में उलझा रहता है। आहार और व्यवहार मानव जीवन के अहम अंग है वही अहंकार पतन की ओर ले जाती है। धर्म बिना मनुष्य पशु के समान है। धर्म का मतलब मानव धर्म व हिंदू धर्म होता है।
डॉक्टर भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि सत्य व अस्तित्व की एकता ….को समझे सत्य व धर्म को समझना बहुत जरुरी है। सत्य में सभी सुख है। भौतिक सुख में कई प्रकार के कष्ट है। आध्यात्म का मतलब ज्ञान, बुद्धि और अनुसंधान है। सत्य के कई प्रकार है।
केवल सत्य के साथ करुणा भाव जरुरी है ..हालाँकि पश्चिम की सोच अलग है। संयम, सदाचार, संवेदना, करुणा ..ये सत्य व धर्म के अंग है। मजबूरी में भी कई सेवा कार्य हो जाते है।
दीपों के कई रूप हैं। कुछ दीपों में तेल की ज़रूरत नहीं होती। जिसने रत्नदीप महत्वपूर्ण है। ऐसे समाज के रत्न अपने कर्मों से समाज को प्रज्वलित करते रहते हैं। समाज को जगाते रहते हैं। सेवा बड़ी या छोटी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शुद्ध अन्तकरण से किया गया निष्काम कार्य सेवा है। सेवा का क्षेत्र असीमित है। अभाव को दूर करना, दुःख को दूर करना, पर्यावरण को शुद्ध करना, ज़रूरत मंदो की मदद ..। 130 करोड़ वाले देश है। ड्यनासोर क्यों लुप्त हुआ पर कुछ बात है ऐसी की हस्ती मिटती नहीं हमारी। पूरे भारत का वर्णन महाभारत व रामायण में है। संवेदना भूमि व भूमि पुत्रों के लिए है। सभी भूमि पुत्र है। सबसे ऊपर उठकर। एक अनूठे भारत के लिए सबको एकजुट होकर कार्य करना जरुरी है।
इस मौके पर केंद्रीय जन जातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी सम्बोधित किया। कई मंत्री मौजूद थे। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी .फग्गन सिंह कुलसते ..जितेंद्र सिंह ..अश्वनी चौबे आदि भी उपस्थित थे।
संत ईश्वर सम्मान समिति के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयमसेवक संघ के सह सम्पर्क प्रमुख राम लाल जी भी उपस्थित रहे।
इस मौके पर केंद्रीय मंत्री जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा, नालंदा विश्वविधालय के कुलपति पद्मभूषण विजय पांडुरंग भटकर समेत अन्य कई गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
चार क्षेत्रों में सम्मान
संत ईश्वर सम्मान समिति महासचिव वृंदा ने संत ईश्वर सम्मान की जानकारी देते हुए बताया कि वर्ष 2015 से प्रारंभ होकर में संत ईश्वर सम्मान द्वारा प्रति वर्ष ऐसे संगठनों एवं व्यक्तियों को सम्मानित किया जाता है, जो समाज की नजरों से दूर निस्वार्थ भाव से समाजसेवा का कार्य कर रहे हैं। यह सम्मान व्यक्तिगत व संस्थागत रूप में मुख्यतः चार क्षेत्र-जनजातीय कल्याण, ग्रामीण विकास, महिला-बाल कल्याण एवं विशेष योगदान (कला, साहित्य, पर्यावरण,स्वास्थ्य और शिक्षा) में तीन श्रेणियों एक विशेष सेवा सम्मान, चार विशिष्ट सेवा सम्मान एवं 12 सेवा सम्मान में दिया जाता है।
जिसमे क्रमशः शॉल, रुपये पांच लाख रुपये प्रत्येक, एवं रुपये एक लाख रुपये की राशि प्रत्येक एवं सभी विजेताओं को शॉल, ट्राफी, प्रमाण- पत्र व प्रतीक मुद्रा सहित प्रत्येक वर्ष कुल रुपये 32 लाख की धनराशि से व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है। विगत वर्षो ने संस्था के द्वारा 67 व्यक्ति/संस्थाओं को सम्मानित किया गया और इनमें से 6 व्यक्तियों/संस्थाओं को बाद में भारत सरकार ने पद्म पुरुस्कारों से भी सम्मानित किया।
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