समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 31 अगस्त: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया चीन यात्रा को लेकर एक बार फिर मोदी भक्तों और गोदी मीडिया पर तीखा हमला बोला है। संजय सिंह ने आरोप लगाया कि मोदी समर्थक और सत्ता समर्थित मीडिया देश की असलियत छुपाकर जनता को गुमराह कर रहे हैं, जो कि “सीधे-सीधे देश से गद्दारी” के बराबर है।
मोदी की चीन यात्रा पर उठाए सवाल
प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल हुए थे, जहाँ उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। इस दौरान सीमा विवाद और आपसी संबंधों पर चर्चा हुई।
लेकिन, संजय सिंह ने कहा कि –
- देश की ज़मीन पर चीन का कब्जा जारी है।
- अरुणाचल प्रदेश पर चीन बार-बार दावा करता है।
- बावजूद इसके मोदी भक्त और गोदी मीडिया चीन यात्रा को “ऐतिहासिक उपलब्धि” बताकर जनता की आँखों में धूल झोंक रहे हैं।
“देशभक्ति का दिखावा, गद्दारी का खेल”
संजय सिंह ने तीखे शब्दों में कहा कि –
“जो लोग पीएम मोदी की हर विदेश यात्रा को सफलता का महाकाव्य बताकर चीन के असली इरादों को छुपा रहे हैं, वे देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं। यह देशभक्ति नहीं, बल्कि सत्ता की चापलूसी है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि –
- गोदी मीडिया सरकार के दबाव में है।
- सीमाओं पर भारत की सेना की असल चुनौतियों पर चर्चा नहीं की जाती।
- सिर्फ प्रधानमंत्री की छवि चमकाने के लिए खबरें चलाई जाती हैं।
विपक्षी रणनीति और राजनीतिक संदेश
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि संजय सिंह का यह बयान 2025 के राजनीतिक माहौल में विपक्षी रणनीति का हिस्सा है।
- विपक्ष मोदी सरकार को चीन नीति और सीमा सुरक्षा के मुद्दे पर घेरना चाहता है।
- आम आदमी पार्टी खुद को “जनता की आवाज़” बताकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है।
चीन विवाद और भारतीय राजनीति
यह पहली बार नहीं है जब विपक्ष ने मोदी सरकार पर चीन के मुद्दे पर नरमी का आरोप लगाया हो।
- 2020 के गलवान संघर्ष से लेकर अब तक विपक्ष लगातार सवाल उठाता रहा है।
- वहीं, सरकार का दावा है कि सीमा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित में कोई समझौता नहीं किया गया है।
संजय सिंह के इस बयान ने एक बार फिर मोदी सरकार, मीडिया और विपक्ष के बीच तीखी बहस छेड़ दी है।
जहाँ एक ओर समर्थक मानते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी की चीन यात्रा से रिश्तों में सुधार हो सकता है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे “राष्ट्रीय हितों के साथ समझौता” करार दे रहा है।
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