व्यंग: नारद संहिता’- बदल सकती है भगवान की सीट!

-महेश दीक्षित

भोपाल की दक्षिण-पश्चिम और हुजूर विधानसभा सीटों पर भाजपा  उम्मीदवारों की अदला-बदली कर सकती है। भगवानदास सबनानी भोपाल दक्षिण-पश्चिम से हुजूर और रामेश्वर शर्मा  हुजूर से भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट पर भेजे जा सकते हैं। बताते हैं कि, केन्द्रीय मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में भोपाल में हुई बैठक में भी भोपाल दक्षिण-पश्चिम सीट पर फंस रहे पेंच पर चर्चा हुई है। हालांकि शाह ने अब उम्मीदवारों की सीट बदलने के लिए मना कर दिया है। लेकिन संघ इस बात को लेकर अड़ा हुआ है कि, यदि भगवान की सीट नहीं बदली गई, तो भोपाल दक्षिण-पश्चिम में  कांग्रेस के पीसी से जीतना भाजपा के लिए नामुमकिन हो जाएगा। अब देखना यह है कि संघ के दबाव में पार्टी भगवान की सीट बदलती है या नहीं?

भाजपा ने विदिशा में कांग्रेस को वाक ओवर तो नहीं दे दिया ?

एक समय तक कहा जाता था कि विदिशा में भाजपा के टिकट पर यदि किसी ऐरे-गैरे को भी चुनाव में खड़ा कर दिया जाए, तो वह जीत जाएगा। लेकिन 2018 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े मुकेश टंडन के हारने के साथ ही यह मिथक टूट गया था । लेकिन विदिशा में भाजपा ने फिर मुकेश टंडन को टिकट दे दिया है। इस पर खुद भाजपाई कह रहे हैं कि हमने कांग्रेस को वाक ओवर दे दिया है। दरअसल, भाजपा संगठन और विदिशा के भाजपाई नहीं चाहते थे कि,  मुकेश टंडन को दोबारा टिकट दिया जाए। लेकिन सीएम शिवराज के सामने किसी की नहीं चली। लेकिन अब जब भाजपा ने मुकेश को  टिकट दे ही दिया है, तो विदिशा में भाजपा को जीतने के लिए कांग्रेस से नहीं, बल्कि भाजपा के नेता श्याम, मुकेश और तोरण से फाइट करना होगी। नारदजी कहते हैं कि यदि भाजपा विदिशा में अपनों से जीत पाई तो फिर कांग्रेस के शंशाक को हराना आसान हो जाएगा।

सज्जन की (अ) सज्जनता के सर्वत्र हो रहे चर्चे

कांग्रेस नेता एवं पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा की (अ) सज्जनता के सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो के राजनीतिक गलियारों में चर्चे हैं। इस वीडियो में सज्जन अपनी ही पार्टी के नेताओं को टारगेट कर पूर्णत: (अ) सज्जनता का परिचय दे रहे हैं…कह रहे हैं कि प्रेमचंद गुड्डू की औकात क्या है…क्या उसको राष्ट्रपति बना दें…इसके आगे दिग्विजय के लिए ऐसे असंसदीय (नोनवेज) भाषा बोल रहे हैं कि, उनके नोनवेज शब्दों को यहां उल्लेखित कर पाना नारदजी के लिए संभव नहीं है। नारदजी कहते हैं कि कांग्रेस की मोहब्बत दुकान चलाने का सज्जन का अंदाज निराला है।

साहब शांति के लिए बुद्धम शरणम् गच्छामि..!

राज्य मंत्रालय की चौथी मंजिल पर बैठने वाले एक बड़े साहब शांति की खोज में इन दिनों बुद्धम शरण गच्छामि कह रहे हैं… दरअसल बड़े साहब पिछले छह महीने से विधानसभा चुनाव के कामकाज के दबाव में इतने परेशान हो गए थे कि, घर में परिजनों और दफ्तर में अधीनस्थों पर बात-बात पर खीझने-चिढ़चिढ़ाने लगे थे। किसी ने सलाह दी कि साहब मानसिक स्थिति बिगड़ रही है, क्यों न शांति के लिए ध्यान का सहारा लिया जाए। बस फिर क्या था ? साहब ने टिकट कटाया और दस दिन के  विपश्यना शिविर में भाग लेने के लिए रवाना हो गए। अब देखना यह है कि साहब को विपश्यना से शांति मिलती या नहीं?

 

 

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