कहो तो कह दूँ – किसने कहा है कि “साबुन” और “शैम्पू” लगाओं और “तली” हुई चीजें खाओ

चैतन्य भट्ट।
“कोटक इंस्टीट्यूट सिक्यूरिटीज” ने बाजार में एक सर्वे किया और बताया कि पिछले तीन महीनों में मंहगाई ने इस कदर स्पीड पकड़ी है कि रोजमर्रा के काम में आने वाली चीजों के दामों में “बयालीस फीसदी” की बढ़ोत्तरी हो गयी है। सर्वे में बताया गया कि “साबुन” “शैम्पू” “चाय पत्ती” “वाशिंग पाउडर” और “खाने के तेल” की कीमतों ने आसमान तक छलांग लगा दी है, सर्वे करने वाले ये तो बतला रहे है कि इन चीजों की कीमत में इतना इजाफा हो गया है लेकिन ये नहीं बता रहे हैं कि इस मंहगाई से मुकाबले कैसे किया जाए, तो आओ हम बता देते हैं कि इनसे कैसे बचें और कैसी अपनी जेबे हलकी होने से बचाएं।
सबसे पहले “साबुन” पर आते है तो साबुन से अपना शरीर रोज मल मल कर नहाने की जरूरत क्या हैं , पहले के ज़माने में लोगबाग “काली मिट्टी” से अपना शरीर साफ़ करते थे, आप भी आसपास के किसी खेत में चले जाओ एकाध तसला काली मिट्टी ले आओ छानकर बेहतरीन अपने और अपनी पूरी फैमिली के शरीर पर लगाओ और पानी डाल कर नहा लो, वैज्ञानिक भी कहते हैं काली मिट्टी लगाने से शरीर में होने वाले चर्म रोग नहीं हो पाते, साबुन में तो वैसे भी केमिकल मिले ही रहते है उनसे भी बच जाओगे और पैसा भी खर्चा नहीं होगा।
अब आते है शैम्पू पर, कितने साल हुए है इन शैम्पूओं को इस दुनिया में आये, हुए बीस, पच्चीस साल उसके पहले क्या लोग बाग़ सर नहीं धोते थे, शैम्पू को मारो गोली और ले आओ “रीठा” पानी में उबालो और उस पानी से बाल धोलो ‘ देखना बाल ऐसे चमकदार और लम्बे होने लगेंगे कि लोग आपके बालों को देखकर ये ही गाना गायेंगें “ये रेशमी जुल्फें ये शरबती आँखें इन्हें देखकर जी रहे हैं सभी” इधर लड़कों के बाल देखकर लड़कियां गाने लगेंगी “उड़ें जब जब जुल्फें तेरी, कंवारियों का दिल मचले”।
सर्वे में “वाशिंग पाउडर” के दामों को भी लेकर बात कही गयी है तो वाशिंग पाउडर के चक्कर में पड़ते ही क्यों हो, “सोडा” बाजार में मिट्टी मोल मिलता है ले आओ चार छह किलो एक बार में और न केवल अपने बल्कि अडोसी पडोसी के भी कपडे धो डालो, ऐसे सफ़ेद हो जाएंगे ये कपडे कि “दूध से सफेदी निरमा से आए” वाला जिंगल बदल कर ये हो जाएगा “दूध सी सफेदी सोडा से आये, सोडा सोडा सोडा”।
चाय भी पीने की जरूरत क्या है इससे तो एसिडिटी बढ़ती है एसिडिटी से अल्सर होता है इसलिए चाय से ही मुक्ति पा लो।
अंत में आते है “खाने के तेल” पर तो देश का हर डॉक्टर चीख चीख कर लोगों को आगाह कर रहा है कि तली हुई चीजें नुकसान करती हैं जो ज्यादा तेल खाते हैं उनका “कोलोस्ट्रॉल” बढ़ जाता है जब कोलोस्ट्रॉल बढ़ता है तो हार्ट में ब्लॉकेज बन जाते है जब हार्ट में ब्लॉकेज हो जाते हैं तो “हार्ट अटैक” भी आ सकता है समय पर पता चल गया तो “ऐंजिओप्लास्टी” करवाना पड़ सकती है और मामला गंभीर है तो “बायपास सर्जरी” की शरण में जाना पड़ता हैं जिसमें लाखों का खर्च आ सकता है।
इसलिए तेल का यूज कम से कम करो, बेहतरीन उबली हुई चीजे खाओ और इन सब बीमारियों से बचो।
ऐसे बहुत से उपाय हैं “यूट्यूब” खोलो तो आपको “टकला” बाल बढ़ाने के, “ठिगना” लम्बाई बढ़ाने, “मोटा आदमी” दुबले होने और काली कलूटी महिला आपको गोरे होने के उपाय बतलाती मिल जाएंगी और दूसरी सबसे बड़ी बात कि आपसे किसने कहा है कि साबुन और शैम्पू से नहाओ और तली हुई चीजें खाओ।

नाराज बहुएं दूसरा घर बसा लेती हैं।  इन दिनों बीजेपी के दो रूठे हुए विधायकों की बड़ी चर्चा है, एक हैं महल कौशल इलाके के “अजय विश्नोई” और दूसरे है विंध्य के “नारायण त्रिपाठी” इन दोनों से बीजेपी वाले भारी हलकान ही क्योकि ये दोनों ही नेता अपनी ही पार्टी को कटघरे में खड़ा करने का कोई मौका नहीं चूकते। जब इन विधायकों के बारे में प्रदेश के एक मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा से पूछा तो उन्होंने कहा कि अजय विश्नोई और नारायण त्रिपाठी दोंनो ही “नाराज बहुएं” हैं कहने को तो सकलेचा जी ने कह दिया लेकिन वे भूल गए कि जिस घर में बहुएं नाराज हो जाती है उस घर को छिन्न भिन्न होने में समय नहीं लगता। नाराज बहुएं कब अपने पति को लेकर अपना नया घर बसा लें कोई नहीं जानता, आजकल तो वैसे भी सास ससुर के साथ कोई बहू रहना ही नहीं चाहती वो तो यही चाहती है कि वो स्वतंत्र रहे, उसे बूढ़े सास ससुर की सेवा न करना पड़े। ये माना कि दोनों पुरानी बहुएं है तब तो और भी मुश्किल है घर की पूरी पोल इन बहुओं को मालूम ही होंगी यदि ऐसे में इन नाराज बहुओं ने अपना घर छोड़कर किसी नए घर में एंट्री ले ली तो मुश्किल तो पैदा हो ही जाएगी। दरअसल इन बहुओँ की नाराजगी इस बात को लेकर है कि पहले घर की हर तिजोरी की चाबी उनके पल्लू से लटकी रहती थी , लेकिन अब वे चाबियां नई बहुओं को सौंपी जा रही हैं अब इन्हें कौन समझाए कि तुम लोग पुरानी और बूढी बहुएं हो, नई बहुएं “लव मैरिज” वाली हैं और ये तो नियम है कि नई बहू के आने के बाद पुरानी बहुओं का रुतबा कम हो जाता है लेकिन इसके साथ इन दोनों नाराज बहुओं को कैसे सेटिस्फाइड करना हैं ये तो बड़े बूढ़ों को ही डिसाइड करना हैं, ध्यान रहे नाराज बहुओं को यदि समय पर नहीं मनाया गया तो कुनबे में होने वाली टूट फूट कोई नहीं रोक पायेगा।

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