समग्र समाचार सेवा
पटना, 26 जून: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 अब तक NDA और INDIA गठबंधन के बीच टकराव की कहानी थी, लेकिन अब इसमें तीसरा मोर्चा भी आ गया है — प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज पार्टी’। चुनाव आयोग ने PK की पार्टी को प्रतीक रूप में “स्कूल बैग” आवंटित किया है, जो न सिर्फ एक चुनाव चिह्न बल्कि पार्टी के एजेंडा—शिक्षा, रोजगार और युवा पलायन रोकने—का प्रतिबिंब है।
‘स्कूल बैग’ क्यों? PK का विजन
प्रशांत किशोर ने स्पष्ट किया कि स्कूल बैग इसलिए चुना गया है क्योंकि बिहार की सियासत में पिछले तीन दशकों से युवा और बच्चों की शिक्षा पर ध्यान कम रहा है। उनका कहना है,
“स्कूल बैग शिक्षा, रोजगार और सम्मान का संकेत है… पिछले 35 वर्षों में इसे मजदूरी से बदल दिया गया।”
यह बस चुनाव चिन्ह नहीं, बल्कि बदलाव की उम्मीद है।
वैशाली रैली में PK का आक्रमक संदेश
वैशाली की ‘बिहार बदलाव रैली’ में PK ने तीन दशक से बनी पुरानी राजनीति को कटघरे में खड़ा करते हुए स्पष्ट संदेश दिया:
“अगर आप मेरे कहे अनुसार वोट करेंगे तो आपके बच्चों को शिक्षा और रोजगार बिहार के ही गांवों में मिलेगा।”
انہوںने मोदी सरकार को भी चैलेंज किया जब कहा,
“अब सिंदूर का डिबिया बांटने से कुछ नहीं होगा।
जन सुराज: निर्णायक भूमिका की तैयारी
जन सुराज पार्टी ने घोषणा की है कि वह 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। खास बात यह है कि उनमें कम से कम 40 महिला उम्मीदवार मैदान में होंगी। यह बता रहा है कि पार्टी परिवर्तन की जनता पर भरोसा जताने की दिशा में गंभीर है।
PK की ‘पदयात्रा’ और युवा जुड़ाव
प्रशांत किशोर ने चुनाव से पहले किलोमीटरों लंबी ‘पदयात्रा’ निकाली, ग्रामीण संवाद और स्थानीय मुद्दों को सीधे जनता तक पहुँचाया। अब जब वे पहली बार चुनावी उम्मीदवार बनकर उतर रहे हैं, उनकी यह रणनीति उन्हें खासकर युवा मतदाता वर्ग और पहली बार वोटरों के दिलों में जगह दिला सकती है
क्या होगा असर? मुकाबले की बहुपक्षीय तस्वीर
PK का स्कूल बैग निशान एक प्रतीकदेह चुनौती है नड्डा–लालू–नीतीश जैसे पुराने किले वालों को। उनका जोर सिस्टम परिवर्तन पर है, जो पारंपरिक राजनीति की जगह शिक्षा, रोजगार और सम्मान को प्राथमिकता देता है। अब देखना यह है कि यह नया मोर्चा कितनी गहराई तक पहचान बना पाता है और बिहार की राजनीति को नए बहु-ध्रुवीय स्वरूप में कैसे बदलता है।
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