विज्ञान भवन में अध्यात्म की आभा: पीएम मोदी को मिला ‘धर्म चक्रवर्ती’ सम्मान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28 जून: नई दिल्ली के विज्ञान भवन में शनिवार को जैन समाज के एक ऐतिहासिक अध्यात्मिक समारोह का साक्षी बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज की जन्म शताब्दी पर आयोजित भव्य समारोह का उद्घाटन किया और जैन समाज की ओर से उन्हें ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया।

धर्म चक्रवर्ती सम्मान को कहा प्रसाद

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में इस सम्मान को विनम्रता से स्वीकारते हुए कहा कि वह खुद को इसके योग्य नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा, “मुझे इस उपाधि के लायक नहीं समझता हूं लेकिन हमारे संस्कार हैं कि संतों से जो भी मिलता है, उसे प्रसाद समझकर स्वीकार किया जाता है।” प्रधानमंत्री ने इस सम्मान को भारत माता के चरणों में समर्पित कर दिया।

सेवामय जीवन ही सच्चा धर्म: प्रधानमंत्री

पीएम मोदी ने अपने भाषण में आचार्य विद्यानंद जी महाराज के विचारों को याद किया। उन्होंने कहा कि आचार्य जी का संदेश था कि जीवन तभी धर्ममय हो सकता है जब वह सेवामय हो। उन्होंने भारत की सेवा प्रधान संस्कृति को दुनिया में अहिंसा और मानवता का संदेश देने वाला बताया। “जब दुनिया में हिंसा को ही जवाब माना जाता था, तब भारत ने अहिंसा को शक्ति के रूप में स्थापित किया,” पीएम ने कहा

प्राकृत भाषा को मिली नई पहचान

प्रधानमंत्री ने प्राकृत भाषा को लेकर सरकार की पहल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्राकृत भगवान महावीर के उपदेशों की भाषा है, लेकिन उपेक्षा के चलते इसका प्रचार सीमित हो गया था। आचार्य विद्यानंद जी जैसे संतों के प्रयासों को सरकार ने आगे बढ़ाया और प्राकृत को ‘शास्त्रीय भाषा’ का दर्जा दिया। इसके साथ ही प्राचीन पाण्डुलिपियों को डिजिटल करने का भी काम चल रहा है।

आचार्य पद की ऐतिहासिक स्मृति

प्रधानमंत्री ने स्मरण किया कि 28 जून 1987 को आचार्य विद्यानंद जी महाराज को आचार्य पद की उपाधि मिली थी। पीएम ने कहा कि यह सिर्फ उपाधि नहीं बल्कि संयम, करूणा और विचार से जुड़ी जैन परंपरा की पवित्र धारा है। इस मौके पर पीएम मोदी ने आचार्य जी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित किए और उनके आशीर्वाद की कामना की।

 

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