जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हाथापाई: अनुच्छेद 370 पर इंजीनियर राशिद के भाई के बैनर दिखाने से मचा बवाल

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,7 नवम्बर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में एक अप्रत्याशित घटना ने सबका ध्यान आकर्षित कर लिया, जब निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशिद के भाई ने अनुच्छेद 370 से संबंधित एक बैनर प्रदर्शित किया। इस घटना ने राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया, जिससे विधानसभा में तीखी बहस और हाथापाई तक हो गई।

बैनर और अनुच्छेद 370 पर विरोध

जैसे ही इंजीनियर राशिद के भाई ने यह बैनर लहराया, जिसके जरिए अनुच्छेद 370 के समर्थन में आवाज उठाई गई, विधानसभा में हंगामा मच गया। कई अन्य विधायकों ने इस बैनर का विरोध किया, इसे एक “उकसाने वाला कदम” बताया और राज्य की संप्रभुता के खिलाफ बताया। इस घटनाक्रम ने राजनीतिक दलों को स्पष्ट रूप से दो हिस्सों में बांट दिया, जिसमें कुछ विधायक बैनर को गलत ठहराने लगे तो कुछ ने इसे जनता की आवाज बताया।

विधानसभा में गहमागहमी और हाथापाई

बैनर दिखाने के बाद विभिन्न दलों के विधायक आपस में बहस करने लगे और देखते ही देखते स्थिति हाथापाई तक पहुंच गई। सदन में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तकरार बढ़ गई, जिससे पूरे सदन में अफरातफरी का माहौल बन गया। विधानसभा अध्यक्ष को सदन को शांत करने के लिए बार-बार हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन स्थिति फिर भी नियंत्रण में नहीं आई।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी तुरंत आईं। जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेताओं के अलावा, राष्ट्रीय दलों ने भी इस मामले पर अपने विचार व्यक्त किए। कई नेताओं ने कहा कि विधानसभा जैसे मंच पर ऐसे बैनर दिखाना अनुचित है, जबकि कुछ ने इसे लोकतंत्र का हिस्सा बताते हुए समर्थन किया।

अनुच्छेद 370 पर चल रहा बहस और विरोध

अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता था, जिसे 2019 में केंद्र सरकार द्वारा समाप्त कर दिया गया। इसके बाद से यह मुद्दा राजनीतिक बहस का मुख्य हिस्सा बना हुआ है। कुछ दल और नेता इसे राज्य की पहचान का हिस्सा मानते हैं, वहीं दूसरी तरफ कुछ इसे राज्य के विकास में बाधा मानते हैं।

आगे की कार्रवाई

विधानसभा में हुई इस हाथापाई के बाद, सुरक्षा बढ़ा दी गई है और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जा सकती है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि इस तरह के प्रदर्शन और विरोध लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के खिलाफ हैं, और ऐसे मामलों में कठोर कदम उठाए जा सकते हैं।

निष्कर्ष

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हुई इस घटना ने अनुच्छेद 370 पर एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है और इस बात को उजागर किया है कि यह मुद्दा अभी भी वहां की राजनीति में एक अहम भूमिका निभा रहा है।

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