एस.डी. सरकारी डिग्री कॉलेज, नौहट्टा (बिहार) के राष्ट्रीय सम्मेलन में नीडोनॉमिक्स दृष्टिकोण से अनुसंधान के पुनर्परिकल्पन पर केंद्रित चर्चा

नौहट्टा, रोहतास (बिहार), 21 नवंबर: सब-डिवीजनल गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, नौहट्टा (वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा का एक घटक इकाई ) ने “उन्नत और नवाचारी अनुसंधान तकनीकें: प्रभावी डेटा विश्लेषण के लिए” विषय पर एक बहुविषयक राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया। प्रो. मदन मोहन गोयल, पूर्व प्रो वाइस-चांसलर (वी.के.एस.यू.), तीन बार कुलपति और नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक ने “ अनुसंधान की पुनर्कल्पना: नीडोनॉमिक्स फ्रेमवर्क में डेटा विश्लेषण के लिए एकीकृत और नवीन तकनीकें ” विषय पर उद्घाटन भाषण दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो  (डॉ.) महेन्द्र नाथ पाण्डे,  प्राचार्य, शेरशाह कॉलेज, सासाराम ने की। स्वागत भाषण प्राचार्य एवं संयोजक डॉ. संजय कुमार त्रिपाठी ने दिया, जबकि डॉ. नीतू देवी, एस. बी. कॉलेज, आरा ने प्रो. एम. एम. गोयल की शैक्षणिक उपलब्धियों पर आधारित प्रशस्ति-पत्र प्रस्तुत किया।
प्रो. गोयल ने स्पष्ट किया कि नीडोनॉमिक्स फ्रेमवर्क में अनुसंधान का पुनर्परिकल्पन मात्र संख्याओं से आगे जाकर बहुविषयक, मानव-केंद्रित और मूल्यों पर आधारित डेटा दृष्टिकोण अपनाने का नाम है।
ज़रूरत और लालच के बीच नैतिक संतुलन को पुनर्स्थापित करने के लिए, उन्होंने ऐसे अनुसंधान का आह्वान किया जो भौतिक कठोरता को नैतिक तर्कणा के साथ जोड़ता है। यह एकीकृत दृष्टिकोण अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, व्यवहार विज्ञानों और उभरती प्रौद्योगिकियों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करता है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि डेटा विश्लेषण में नवाचार केवल नए उपकरण अपनाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पुनर्विचार करने से शुरू होता है कि डेटा अर्थ कैसे उत्पन्न करता है। नीडोनॉमिक्स में, नवाचार का अर्थ संदर्भ-आधारित और कथात्मक विश्लेषण, सहभागितापूर्ण पद्धतियाँ तथा डिजिटल तकनीकों—AI, IoT और Big Data—का नैतिक, गोपनीयता-सचेत और मानव गरिमा के अनुरूप उपयोग है।
प्रो. गोयल ने कहा कि अनुसंधान का पुनर्परिभाषण एक सांस्कृतिक परिवर्तन है, जिसमें शोधकर्ता केवल डेटा संग्राहक नहीं, बल्कि मूल्यों के संवर्धक बनते हैं। उनके अनुसार, अनुसंधान सेवा, सत्य-खोज और सामाजिक उत्थान का कार्य होना चाहिए।
विभिन्न विषयों में अवसरों और चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे अपने अनुसंधान में नीडोनॉमिक्स की अंतर्दृष्टियों—सरलता, नैतिकता, व्यावहारिकता, उत्तरदायित्व और पारदर्शिता—को अपनाएँ।
प्रो. गोयल ने “स्ट्रीट स्मार्ट ” शोधकर्ताओं की अवधारणा (सरल, नैतिक, क्रियाशील, उत्तरदायी और पारदर्शी) को रेखांकित करते हुए कहा कि यह मॉडल सतत विकास हेतु एक प्रभावी रोडमैप प्रदान करता है और 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होगा.

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