दिल्ली में आज ‘सुरक्षा चक्र’ मॉक ड्रिल, भूकंप और रासायनिक आपदा पर रियल टाइम रेस्क्यू ऑपरेशन

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 01 अगस्त: राजधानी दिल्ली के नागरिकों को आज का दिन एक इमरजेंसी जैसे अनुभव से रूबरू कराएगा—but don’t panic! यह सब एक बड़ी और बहुप्रशिक्षित मॉक ड्रिल ‘सुरक्षा चक्र’ का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य है–आपदा के समय शहर की तैयारियों को परखना और नागरिकों को जागरूक करना।

राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की अगुवाई में चल रही यह मॉक ड्रिल, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के निर्देश पर आयोजित की गई है। इसे अब तक की सबसे बड़ी मल्टी-स्टेट और मल्टी-एजेंसी मॉक ड्रिल माना जा रहा है।

क्या है ‘सुरक्षा चक्र’ मॉक ड्रिल?

इस अभ्यास में भूकंप और औद्योगिक रासायनिक आपदाओं जैसी परिस्थितियों का सजीव चित्रण किया गया। इसका उद्देश्य था—

  • दिल्ली की आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली की हकीकत को परखना,
  • इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम (IRS) की क्षमता का मूल्यांकन,
  • एजेंसियों के बीच तालमेल को मजबूत करना,
  • और आम जनता को आपदा प्रबंधन के सही तरीके सिखाना।

कहां-कहां हुआ अभ्यास?

मुख्य स्थान रमेश नगर मेट्रो स्टेशन और वेस्ट दिल्ली के कुछ संवेदनशील इलाके रहे, जहां भूकंप, मेट्रो में आग, पिलर गिरने और यात्रियों के घायल होने की स्थिति को रियल टाइम में दिखाया गया। आम नागरिकों ने इन घटनाओं को लाइव देखा और आपदा प्रतिक्रिया प्रणाली को चलते हुए अनुभव किया।

कौन-कौन सी एजेंसियां रहीं शामिल?

  • दिल्ली पुलिस
  • दिल्ली फायर सर्विस
  • दिल्ली मेट्रो
  • स्वास्थ्य विभाग
  • CISF
  • DDMA (दिल्ली डिज़ास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी)

इन सभी एजेंसियों ने मिलकर रेस्क्यू ऑपरेशंस, घायलों को निकालने, प्राथमिक उपचार देने, और उन्हें अस्पताल भेजने की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अभ्यास किया।

जनता के लिए ज़रूरी संदेश

  • यह सिर्फ एक मॉक ड्रिल है, असली आपदा नहीं।
  • सायरन या इमरजेंसी अलर्ट से घबराएं नहीं।
  • अफवाहों से बचें और केवल आधिकारिक सूत्रों से जानकारी लें।
  • जहां भी ड्रिल चल रही हो, वहां सहयोग करें।

‘सुरक्षा चक्र’ मॉक ड्रिल न केवल दिल्ली बल्कि पूरे NCR के लिए एक wake-up call है कि कैसे हमें आपदाओं के प्रति तैयार रहना चाहिए। सरकार और संबंधित एजेंसियां न सिर्फ आपात स्थितियों से निपटने की तैयारी कर रही हैं, बल्कि आम नागरिकों को भी इस प्रक्रिया में जोड़ रही हैं। ऐसी पहलें भारत को आपदा-प्रबंधन में आत्मनिर्भर और कुशल बनाती हैं।

 

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