कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने विदेश मामलों विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया, पार्टी में युवाओं को मौका देने की बात कही

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 11 अगस्त: रिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा ने अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) के विदेश मामलों विभाग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि, वह कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बने रहेंगे।

आनंद शर्मा ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे अपने त्यागपत्र में कहा कि समिति में युवा और सक्षम नेताओं को शामिल करने के लिए पुनर्गठन जरूरी है, ताकि इसके कार्यों में निरंतरता बनी रहे। उन्होंने कहा कि यह कदम पार्टी के भविष्य के नेतृत्व को मजबूत करने के लिए उठाया गया है।

पार्टी नेतृत्व के प्रति आभार

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे विदेश मामलों के विभाग (डीएफए) के अध्यक्ष पद से इसलिए इस्तीफा दे रहे हैं, ताकि विभाग का पुनर्गठन किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका यह निर्णय पार्टी के हित और संगठनात्मक मजबूती को ध्यान में रखकर लिया गया है।

अंतरराष्ट्रीय दौरों के बाद आया इस्तीफा

आनंद शर्मा का इस्तीफा उस समय आया है जब हाल ही में वे “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ कई देशों की यात्रा से लौटे थे। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व एनसीपी-एससीपी नेता सुप्रिया सुले ने किया था।

प्रतिनिधिमंडल में भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी, अनुराग सिंह ठाकुर और वी. मुरलीधरन; आम आदमी पार्टी के विक्रमजीत सिंह साहनी; कांग्रेस के मनीष तिवारी; टीडीपी के लवू श्रीकृष्ण देवरायलु; और पूर्व राजनयिक सैयद अकबरुद्दीन शामिल थे।

सहकर्मियों की प्रतिक्रिया

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने आनंद शर्मा के इस्तीफे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उनकी विदेशी मामलों पर गहरी समझ और अनुभव विशेष रूप से अफ्रीका के संदर्भ में अद्वितीय है। एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें चार दशकों से अधिक समय तक आनंद शर्मा के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है।

पार्टी में बदलाव का संकेत

आनंद शर्मा का यह कदम कांग्रेस में संगठनात्मक बदलाव की दिशा में एक संकेत माना जा रहा है। पार्टी के भीतर युवाओं को ज्यादा अवसर देने की मांग लंबे समय से उठती रही है। शर्मा के इस्तीफे को इसी सोच का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वरिष्ठ नेता स्वेच्छा से पद छोड़कर नए नेतृत्व को आगे बढ़ाने का रास्ता बनाते हैं।

आगे की राह

भले ही आनंद शर्मा अब विदेश मामलों विभाग के अध्यक्ष नहीं रहेंगे, लेकिन कांग्रेस कार्यसमिति में उनकी सक्रिय भूमिका जारी रहेगी। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनका अनुभव और कूटनीतिक समझ पार्टी की विदेश नीति पर विचार-विमर्श में अहम योगदान देती रहेगी।

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