यह नई इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली रास्ते में पड़ने वाले उत्तर प्रदेश के टुंडला जंक्शन पर लगी अप्रचलित 65 साल पुरानी यांत्रिक सिग्नलिंग प्रणाली का स्थान लेगी
रास्ते में पड़ने वाले जंक्शन पर इस तरह के तकनीकी उन्नयन से नई दिल्ली-हावड़ा मार्ग पर सुरक्षित, तेज, सुव्यवस्थित तथा अपेक्षाकृत अधिक समयबद्ध ट्रेन परिचालन संभव होगा
तकरीबन 50 दिनों तक लगभग 500 लोगों ने दिन-रात काम करके न्यूनतम संभव समय में और आम जनता को कम से कम असुविधा के साथ सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा किया
टुंडला में लगाया गया यह इंटरलॉकिंग सिस्टम दक्षिण-पूर्वी रेलवे के खड़गपुर स्टेशन के बाद देश में लगाया गया अपनी तरह का दूसरा सबसे बड़ा सिस्टम है
टुंडला जंक्शन पर ट्रेन संचालन क्षमता मौजूदा अधिकतम 200 से बढ़कर 250 ट्रेनें प्रतिदिन हो गई हैं
हादसे के दौरान चिकित्सा राहत ट्रेन की अब और भी अधिक तेज आवाजाही संभव हो गई है
सर्वाधिक उन्नत इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को ग्रैंड कॉर्ड मार्ग या रूट पर लगाया गया है। इस कदम से भारतीय रेलवे को विभिन्न ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाने और दिल्ली तथा हावड़ा के बीच सफर में लगने वाले समय को मौजूदा 17-19 घंटे से कम करके लगभग 12 घंटे ही कर देने की आशा है।
ग्रैंड कॉर्ड दरअसल हावड़ा-गया-दिल्ली लाइन और हावड़ा-इलाहाबाद-मुम्बई लाइन का एक हिस्सा है। यह सीतारामपुर (पश्चिम बंगाल) और पंडित दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन, उत्तर प्रदेश के बीच एक संपर्क या कनेक्टिविटी के रूप में काम आता है और यह भारतीय रेलवे के उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) जोन में आने वाले 450 किलोमीटर लंबे खंड को कवर करता है। यह इस नई दिल्ली-हावड़ा रूट के 53 प्रतिशत हिस्से को बरकरार रखने के साथ-साथ संचालित करता है। यह उपलब्धि उत्तर प्रदेश के टुंडला स्टेशन पर लगी अप्रचलित 65 साल पुरानी यांत्रिक सिग्नलिंग प्रणाली के स्थान पर सर्वाधिक उन्नत एवं सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को लगाने से ही संभव हो पाई है।
लगभग 500 लोगों ने 2 सितंबर, 2019 से लेकर 20 अक्टूबर, 2019 तक बिना रुके दिन-रात काम करके न्यूनतम संभव समय में और आम जनता को कम से कम असुविधा के साथ यह जटिल एवं चुनौतीपूर्ण कार्य पूरा किया। इसके लिए अभिनव विधियों को अमल में लाया गया और सुव्यवस्थित ढंग से काम किया गया।
टुंडला जंक्शन इस अति व्यस्त मार्ग पर एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्टेशन है जो अपनी निर्दिष्ट क्षमता के 160 प्रतिशत का संचालन करता है। टुंडला इसके साथ ही आगरा कैंट जंक्शन को भी मुख्य लाइन से जोड़ता है।
20 अक्टूबर, 2019 के ऐतिहासिक दिवस पर लगी अप्रचलित 65 साल पुरानी यांत्रिक सिग्नलिंग प्रणाली के स्थान पर सर्वाधिक उन्नत एवं सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम को लगाया गया। इस प्रणाली को चालू करने और फिर इससे जुड़े बाद के कुछ कार्यों के 17 नवंबर, 2019 तक पूरा हो जाने के बाद ट्रेन परिचालन में निम्नलिखित फायदे होंगे:
- केन्द्रीकृत पावर केबिन के जरिए ट्रेन संचालन समय मौजूदा 05-07 मिनट से घटकर 30-60 सेकेंड हो जाएगी जिससे टुंडला जंक्शन की ट्रेन संचालन क्षमता मौजूदा अधिकतम 200 ट्रेनों से बढ़कर 250 ट्रेनें प्रतिदिन हो गई हैं। इससे टुंडला के बाहर रेलगाडि़यों को अपेक्षाकृत कम समय के लिए ही रुकना पड़ेगा और इसके साथ ही ट्रेनों की समयबद्धता बेहतर हो जाएगी।
- आगरा की ओर ट्रेन परिचालन अत्यंत बेहतर हो जाएगा। दो अतिरिक्त प्लेटफॉर्मों के साथ-साथ तीन मौजूदा प्लेटफॉर्मों (संख्या 3,4 एवं 5) के विस्तार से मुख्य लाइन पर पूरी लंबाई वाली ट्रेनों की जरूरतें पूरी की जा सकेंगी।
- उत्तर प्रदेश की दिशा वाली सभी यार्ड लाइनें अब यात्री ट्रेनों की आवाजाही के लिए पूरी तरह से उपयुक्त हो गई हैं जिससे और भी अधिक कोचिंग ट्रेनों का सुव्यवस्थित संचालन संभव हो गया है।
- यार्ड लाइनों की लंबाई बढ़ गई है जिससे अपेक्षाकृत अधिक लंबी यात्री रेलगाडि़यों एवं माल ढुलाई ट्रेनों का संचालन संभव हो गया है।
- हादसों इत्यादि के दौरान दोनों ही तरफ से तत्काल आवाजाही के लिए चिकित्सा राहत ट्रेन (एआरएमई) को दोहरी निकासी वाली सुविधा दी गई है।
इससे नई दिल्ली-हावड़ा मुख्य लाइन पर ट्रेनों की समयबद्धता को बेहतर करने में काफी मदद मिलेगी और कोहरे वाले आगामी सीजन के दौरान इसके कई फायदे देखने को मिलेंगे क्योंकि टुंडला जंक्शन पर ट्रेनों का बगैर विलंब के सुरक्षित संचालन संभव हो पाएगा।
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