शरद पवार ने कोई क्लीनचिट नहीं दी है, विपक्षी एकता में कोई दरार नहीं आएगी- संजय राउत

समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 8अप्रैल। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने शनिवार को कहा कि अडानी ग्रुप के विरुद्ध आरोपों की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति के गठन का राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार द्वारा समर्थन न किए जाने से विपक्षी एकता में कोई दरार नहीं आएगी. शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने संवाददाताओं से कहा कि पवार ने कोई क्लीनचिट नहीं दी है, बल्कि इस बात पर अपनी राय प्रकट की है कि जांच कैसे की जाए.

एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में पवार ने अडानी समूह का बचाव किया था और उसके संबंध में हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट के आधार पर गढ़े जा रहे विमर्श की आलोचना की थी. राउत ने कहा कि विपक्षी जेपीसी जांच की अपनी मांग पर अडिग है. उन्होंने कहा , चाहे (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) ममता बनर्जी हों या राकांपा, अडानी के बारे में उनके बीच भिन्न-भिन्न राय हो सकती है, लेकिन उससे महाराष्ट्र या देश में (विपक्षी) एकता में दरार नहीं आएगी.

इससे पहले, पवार ने कहा था कि वह अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की उच्चतम न्यायालय की एक समिति द्वारा जांच कराए जाने के पक्ष में हैं. पवार ने पत्रकारों से कहा कि अगर जेपीसी में 21 सदस्य हैं, तो संसद में संख्या बल के कारण 15 सत्ता पक्ष से और छह विपक्षी दलों से होंगे, जो समिति पर संदेह पैदा करेगा. उन्होंने कहा, मैं पूरी तरह से जेपीसी के खिलाफ नहीं हूं… कई बार जेपीसी गठित हुई है और मैं कुछ जेपीसी का अध्यक्ष रहा हूं. जेपीसी का गठन (संसद में) बहुमत के आधार पर किया जाएगा. मेरा मानना है कि जेपीसी के बजाय उच्चतम न्यायालय की समिति अधिक उपयुक्त और प्रभावी होगी.

अमेरिका स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने अरबपति गौतम अडानी के कारोबारी समूह के शेयर और लेखांकन में बड़े पैमाने पर हेराफेरी का आरोप लगाया था, जिसके बाद से राहुल गांधी सहित कई विपक्षी नेता केंद्र सरकार पर हमलावर हैं. अडाणी समूह ने इन आरोपों का खंडन किया है. उसने दावा किया है कि वह देश में प्रभावी सभी नियमों एवं विनियमों का पालन करता है. राउत ने यह दावा भी किया कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट में जीवन बीमा और भारतीय स्टेट बैंक की रकम का उपयोग सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के मित्रों को मदद पहुंचाने के लिए किए जाने की बात भी कही गई है. (भाषा)

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