समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 1 जून: कोलकाता पुलिस द्वारा सांप्रदायिक टिप्पणी वाले सोशल मीडिया वीडियो के मामले में गिरफ्तार की गई 22 वर्षीय लॉ छात्रा और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनौली को विदेश से भी समर्थन मिल रहा है। नीदरलैंड के संसद सदस्य और राइट-विंग फ्रीडम पार्टी के प्रमुख गीर्ट विल्डर्स ने उनकी गिरफ्तारी को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कलंक” करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी रिहाई की मांग की है।
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए विल्डर्स ने कहा:
“फ्री द ब्रेव शर्मिष्ठा पनौली! यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कलंक है कि उन्हें गिरफ्तार किया गया। पाकिस्तान और मोहम्मद के बारे में सच्चाई बोलने के लिए उन्हें सज़ा न दें। @narendramodi, कृपया उनकी मदद करें।”
उनकी पोस्ट में “All eyes on Sharmistha” लिखा एक फोटो भी शामिल था।https://twitter.com/geertwilderspvv/status/1928899909043765424
पनौली की गिरफ्तारी पर राजनीतिक घमासान
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शर्मिष्ठा ने एक वीडियो पोस्ट किया था, जिसमें उन्होंने बॉलीवुड सितारों की चुप्पी पर सवाल उठाए और आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया। इस वीडियो के बाद कोलकाता में दर्ज एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की विभिन्न धाराएं लगाई गईं, जिनमें धार्मिक आधार पर वैमनस्य फैलाना, धार्मिक भावनाएं भड़काना और शांति भंग करने के उद्देश्य से अपमान शामिल हैं।
कोलकाता पुलिस ने बताया कि उन्हें गुरुग्राम से कानूनी प्रक्रिया के तहत गिरफ्तार किया गया, क्योंकि बार-बार नोटिस देने के बावजूद वह पेश नहीं हुई थीं। कोर्ट ने जमानती वारंट जारी किया था, जिसके बाद गिरफ्तारी हुई। फिलहाल पनौली 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में हैं।
पवन कल्याण ने भी उठाए सवाल
आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी प्रमुख पवन कल्याण ने भी इस गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा:
“ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शर्मिष्ठा ने भले ही तीखे शब्दों का इस्तेमाल किया, पर उन्होंने अपनी गलती मानी, वीडियो हटाया और माफी भी मांगी। लेकिन, जब तृणमूल सांसद सनातन धर्म का अपमान करते हैं और उसे ‘गंदा धर्म’ कहते हैं, तब कोई कार्रवाई क्यों नहीं होती?”
उन्होंने टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी के पुराने वीडियो को साझा करते हुए लिखा:
“ब्लास्फेमी की निंदा हमेशा होनी चाहिए। सेक्युलरिज़्म किसी के लिए ढाल और किसी के लिए तलवार नहीं बन सकता। न्याय सभी के लिए समान होना चाहिए।“
पुलिस की सफाई
कोलकाता पुलिस ने सोशल मीडिया पर फैल रही बातों को “ग़लत और भ्रामक” बताते हुए कहा:
“कानूनी प्रक्रिया का पालन किया गया है। नोटिस देने के प्रयास किए गए, लेकिन वह अनुपस्थित रहीं। इसके बाद कोर्ट के आदेशानुसार उनकी गिरफ्तारी की गई। हम अपील करते हैं कि गलत सूचनाएं न फैलाएं और प्रमाणिक स्रोतों से ही जानकारी लें।”
शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी अब केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की आज़ादी, सांप्रदायिकता और सेक्युलरिज़्म जैसे बड़े मुद्दों पर बहस का केंद्र बन चुकी है। डच सांसद से लेकर भारतीय विपक्ष और सत्तापक्ष तक, सभी की नजरें अब इस मामले पर टिकी हैं— क्या भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सबके लिए समान है?
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