सरकार के लिए सांसत बन गए हैं उसके खुद के ‘ओल्ड टर्क’ के तीखे सवाल !
अरुण शोरी जहां किसान आंदोलन पर सरकार के रुख पर सवाल उठा रहे हैं, वहीं सुब्रमणियन स्वामी देश की आर्थिक हालत, बीजेपी आईटी सेल और भारत-चीन सीमा पर स्थिति को लेकर बेहद मुखर रहे हैं। सुब्रमणियन स्वामी ने पहले देश की अर्थव्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार को जम कर कोसा था। अब भारत-चीन सीमा पर हालात को लेकर वे लगातार सरकार पर हमलावर बने हुए हैं।
आशीष मिश्र। बीजेपी के लिए उसके खुद के पुराने कद्दावर नेताओं के सवाल एक बड़ी चुनौती बने हुए हैं। इस कड़ी में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री रह चुके अरुण शोरी और राज्यसभा सांसद सुब्रमणियन स्वामी की मुखरता लगातार पार्टी के लिए सांसत की वजह बनी हुई है। अरुण शोरी जहां किसान आंदोलन पर सरकार के रुख पर सवाल उठा रहे हैं वहीं सुब्रमणियन स्वामी देश की आर्थिक हालत, बीजेपी आईटी सेल और भारत-चीन सीमा पर स्थिति को लेकर बेहद मुखर रहे हैं। सुब्रमणियन स्वामी ने पहले देश की अर्थव्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार को जम कर कोसा था। अब भारत-चीन सीमा पर हालात को लेकर वे लगातार सरकार पर हमलावर बने हुए हैं।
पिछले दिनों देश के आर्थिक हालात को लेकर उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए वित्त मंत्री की अकुशलता का आरोप लगाया था। स्वामी अब भारत-चीन सीमा पर सरकार के बयान को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि,पिछले दिनों देश के आर्थिक हालात को लेकर उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए वित्त मंत्री की अकुशलता का आरोप लगाया था। स्वामी अब भारत-चीन सीमा पर सरकार के बयान को चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि, ‘प्रधानमंत्री ने 2020 में कहा कि ‘कोई आया नहीं कोई गया नहीं.’ चीन को यह बहुत पसंद आया. लेकिन यह सच नहीं था। बाद में जनरल नरवणे ने सैनिकों को आदेश दिया वे एलएसी पार कर पैंगोंग लेक को अपने नियंत्रण लें ताकि चीनी चौकियों पर नज़र रखी जा सके। अब हम वहां से पीछे हट रहे हैं लेकिन डेपसांग से चीन के पीछे हटने का क्या हुआ? अभी तक नहीं हुआ है। चीन बहुत ख़ुश है।’
दूसरी तरफ, सरकार संसद में बयान दे चुकी है कि सीमा पर चीन के साथ भारत के समझौते के अनुरूप दोनों पक्ष पीछे हट रहे हैं। चीन ने वहां किसी तरह का कोई कब्जा नहीं किया है। स्वामी के बयान से साफ है कि वे संसद में सरकार के बयान से संतुष्ट नहीं हैं और वे उसे साफतौर पर चुनौती दे रहे हैं।
स्वामी की ढाल विपक्ष को क्यों नहीं भाती
सुब्रमणियन स्वामी, नेहरू-गाधी परिवार के लगातार खिलाफ रहे हैं और वे उऩके खिलाफ कानूनी लड़ाई लडने में अहम भूमिका निभाते रहे हैं। नरसिंह राव की सरकार ने भी उन्हें खूब भाव दिया था और उन्हें श्रम आयोग का अध्यक्ष बनाया था। इसके अलावा उन्होंने तब मनमोहन सिंह और मॉंटेक सिंह अहलूवालिया के साथ मिलकर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के काम में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया था। नेहरू-गांधी परिवार का विरोध ही वो खास वजह है जिसके कारण कांग्रेस सुब्रमणियन स्वामी के आरोपों को ढाल बना कर मोदी सरकार पर हमलावर नहीं होती और उस पर चुप्पी साधे रहती है। कांग्रेस को पता है कि अगर सुब्रमणियन स्वामी के आरोपों का इस्तेमाल कांग्रेस ने बीजेपी को घेरने में किया तो उससे ज्यादा तीखे आरोप सुब्रमणियन स्वामी ने सोनिया गांधी और रॉबर्ट वाड्रा पर लगाए हैं और बीजेपी उसी तीर से कांग्रेस पर हमला कर सकती है।
साभार- गणतंत्र भारत
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