महाराष्ट्र की राजनीति के ‘मेंटर’ बने रहना चाहते हैं शिंदे, सीएम पोस्ट नहीं मिला तो अब संयोजक पद पर नजर!

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,30 नवम्बर।
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, जिन्होंने शिवसेना के विभाजन और सत्ता में आने के बाद राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव किया, अब एक नई भूमिका की तलाश में दिख रहे हैं। खबरों के अनुसार, शिंदे मुख्यमंत्री पद पर बने रहने में असमर्थ होने की स्थिति में पार्टी के ‘संयोजक’ पद की ओर रुख कर सकते हैं।

शिंदे का राजनीतिक सफर: एक नजर

एकनाथ शिंदे ने शिवसेना में रहते हुए grassroots स्तर पर अपनी सशक्त पकड़ बनाई। 2022 में उन्होंने शिवसेना का विद्रोह कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई। हालांकि, सत्ता में आने के बाद से शिंदे गुट और भाजपा के बीच संबंधों में खटास की खबरें आती रही हैं।

सीएम पद पर अनिश्चितता

हालिया राजनीतिक घटनाक्रम और भाजपा की बढ़ती भूमिका ने शिंदे के मुख्यमंत्री पद को अस्थिर कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों में खुद को और मजबूत करना चाहती है, जिसके चलते शिंदे के नेतृत्व को चुनौती दी जा सकती है।

संयोजक पद की रणनीति

शिंदे, जो खुद को महाराष्ट्र की राजनीति का प्रमुख खिलाड़ी बनाए रखना चाहते हैं, अब पार्टी के संयोजक पद पर नजर गड़ाए हुए हैं।

  • संयोजक पद की ताकत: इस पद के जरिए शिंदे पूरे संगठन को नियंत्रित कर सकते हैं। यह पद उन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में ‘किंगमेकर’ की भूमिका निभाने का मौका देगा।
  • दूरगामी दृष्टिकोण: संयोजक के रूप में वे अपने समर्थकों को एकजुट रख सकते हैं और संगठनात्मक शक्ति को मजबूत कर सकते हैं।

भाजपा और शिंदे का समीकरण

भाजपा और शिंदे गुट के बीच गठबंधन में तनाव की खबरें अक्सर सामने आती रही हैं। भाजपा का उद्देश्य राज्य में अपनी पकड़ मजबूत करना है, लेकिन शिंदे अपनी स्वतंत्र राजनीतिक पहचान बनाए रखना चाहते हैं।

  • भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है कि सीएम पद पर कोई भाजपा नेता बेहतर काम कर सकता है।
  • शिंदे इस दबाव से निपटने के लिए संयोजक पद को एक सुरक्षित और प्रभावशाली विकल्प मान सकते हैं।

शिवसेना के उद्धव गुट पर असर

अगर शिंदे संयोजक पद संभालते हैं, तो यह शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) पर भी सीधा असर डालेगा। शिंदे की यह रणनीति महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना की भूमिका को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना सकती है।

क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?

विशेषज्ञों का मानना है कि शिंदे संयोजक पद को एक स्थायी राजनीतिक मंच के रूप में देख रहे हैं। अगर भाजपा ने मुख्यमंत्री पद पर बदलाव किया, तो शिंदे अपनी पार्टी की आंतरिक शक्ति का उपयोग कर महाराष्ट्र की राजनीति में अपना प्रभाव बनाए रख सकते हैं।

निष्कर्ष

महाराष्ट्र की राजनीति में एकनाथ शिंदे की महत्वाकांक्षा और रणनीति एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई है। मुख्यमंत्री पद पर अनिश्चितता के बावजूद, शिंदे संयोजक पद के माध्यम से खुद को राजनीति में प्रासंगिक बनाए रखने की पूरी तैयारी में हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में उनकी यह रणनीति उन्हें कितना लाभ पहुंचाती है और महाराष्ट्र की राजनीति को किस दिशा में ले जाती है।

Comments are closed.