समग्र समाचार सेवा
मुंबई, 31जुलाई। शिवसेना के सांसद संजय राउत को ईडी ने हिरासत में ले लिया है। संजय राउत को ईडी ने ‘पात्रा चॉल लैंड स्कैम केस’ में हिरासत में लिया है। ये मनी लॉन्ड्रिंग का मामला है।
बता दें कि 20 जुलाई को समन भेजने के बाद ईडी आज सुबह ही संजय राउत के घर पहुंची थी। राष्ट्रपति चुनाव में व्यस्तता की वजह से शिवसेना सांसद एजेंसी के सामने पेश नहीं हुए थे।
बताया जा रहा है कि उन्होंने 7 अगस्त तक का समय मांगा था। ईडी ने रावत के गुजारिश को खारिज कर दिया था और दोबारा 27 जुलाई को समन किया था। इस बार भी संजय राउत नहीं पहुंचे और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए दिल्ली में होने की बात कही। उसके बाद आज ED संजय राउत के घर पहुंची. और अब उन्हें हिरासत में ले लिया गया है।
ईडी की टीम के साथ CRPF के अधिकारी भी मौजूद थी. ED की टीम संजय राउत से पतरा चॉल भूमि घोटाला मामले में पूछताछ कर रही है और घर पर सर्च अभियान चलाया।
Mumbai: Police personnel deployed outside the residence of Shiv Sena leader Sanjay Raut. He has been detained by the ED after raids were conducted at his residence in connection with Patra Chawl land scam case pic.twitter.com/8iG2a49V6l
— ANI (@ANI) July 31, 2022
इस पूरी कार्रवाई के बीच शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि महाराष्ट्र और शिवसेना की लड़ाई जारी रहेगी। उन्होंने अगले ट्वीट में लिखा, ‘झूठी कार्रवाई.. झूठा सबूत…मैं शिवसेना नहीं छोड़ूंगा..मैं मर भी जाऊं तो समर्पण नहीं करूंगा। जय महाराष्ट्र।’
उन्होंने आगे लिखा, ‘मेरा किसी घोटाले से कोई लेना-देना नहीं है। यह मैं शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे की शपथ लेकर कह रहा हूं..बालासाहेब ने हमें लड़ना सिखाया है.. मैं शिवसेना के लिए लड़ना जारी रखूंगा।’
क्या है पात्रा चॉल जमीन घोटाला?
मुंबई के गोरेगांव इलाके में पात्रा चॉल है. यह महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डेवेलपमेंट अथॉरिटी का प्लॉट है. पात्रा चॉल जमीन घोटाला करीब 1034 करोड़ का बताया जा रहा है. मामले मे ED संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत की करीब 2 करोड़ रुपये की संपत्ति और सहयोगी प्रवीन राउत की 9 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर चुकी है. आरोप है कि रीयल एस्टेट कारोबारी प्रवीण राउत ने पात्रा चॉल में रह रहे लोगों से धोखा किया. एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को इस जमीन पर 3000 फ्लैट बनाने का काम मिला था. इनमें से 672 फ्लैट पहले से यहां रहने वालों को देने थे, लेकिन साल 2011 में इस जमीन के कुछ हिस्सों को दूसरे बिल्डरों को बेच दिया गया था.
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