कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने फसल बीमा दावों पर किसानों की शिकायतों का लिया संज्ञान

दिल्ली में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई, कहा— ₹1, ₹3, ₹5 के दावे किसानों का मज़ाक हैं; पूरी जांच के आदेश

  • महाराष्ट्र के किसानों से वर्चुअल बातचीत में सुनीं शिकायतें
  • बीमा कंपनियों और अधिकारियों को सख्त निर्देश, दावे समय पर और एक साथ जारी हों
  • नुकसान का आकलन वैज्ञानिक तरीकों से करने पर जोर
  • राज्यों की देरी से केंद्र की छवि खराब न हो, शिवराज सिंह

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 04 नवंबर: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को दिल्ली में फसल बीमा दावों को लेकर किसानों की शिकायतों पर गंभीर रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि ₹1, ₹3 या ₹5 जैसे बीमा दावे किसानों का मज़ाक हैं और इस पर पूर्ण जांच कराई जाएगी।

श्री चौहान ने महाराष्ट्र के किसानों से वर्चुअल माध्यम से संवाद कर उनकी समस्याएँ सुनीं और बीमा कंपनियों व अधिकारियों से जवाब मांगा। उन्होंने साफ कहा कि किसानों को किसी भी स्थिति में परेशान नहीं किया जाएगा।

बैठक में श्री चौहान ने बताया कि मध्य प्रदेश के सीहोर जिले और महाराष्ट्र के कुछ किसानों को बेहद कम राशि के दावे मिले हैं। उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ किसानों का नुकसान “0.004806 प्रतिशत” दिखाया गया, फिर भी उन्हें ₹1 का दावा दिया गया। उन्होंने सवाल उठाया,क्या यह नुकसान मापने का तरीका न्यायसंगत है?

कृषि मंत्री ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत काम कर रही बीमा कंपनियों को चेतावनी दी कि वे किसानों को समय पर और पारदर्शी तरीके से दावा राशि दें। उन्होंने कहा कि नुकसान का आकलन सटीक और वैज्ञानिक पद्धति से होना चाहिए ताकि किसानों को न्याय मिले।

उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन राज्यों ने अपनी हिस्सेदारी का भुगतान देर से किया है, उनसे समन्वय कर शीघ्र राशि जमा कराई जाए। उन्होंने कहा कि राज्यों की देरी से केंद्र सरकार की छवि खराब नहीं होनी चाहिए।

बैठक में महाराष्ट्र और सीहोर के अधिकारियों, कृषि आयुक्तों और बीमा कंपनियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
श्री चौहान ने अंत में कहा कि किसानों को तकनीक से जोड़ना ज़रूरी है ताकि बीमा प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी बन सके और किसी भी तरह की अनियमितता रोकी जा सके।

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