6 करोड़ कर्मचारियों को झटका, ईपीएफओ ने घटाई पीएफ की ब्याज दरें, अब प्रोविडेंट फंड पर मिलेगा 8.1 फीसदी ब्याज

समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली12 मार्च। पीएफ के दायरे में आने वाले देश के करीब 6 करोड़ कर्मचारियों के लिए बुरी खबर है। एम्प्लॉइज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (ईपीएफओ) ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए ब्याज दरों में कटौती का फैसला किया है। यानी अब आपको पीएफ अकाउंट में जमा राशि पर 8.5 फीसदी की बजाए 8.10 फीसदी की ब्याज दर के हिसाब से ब्याज मिलेगा। यह दर पिछले करीब 40 साल में सबसे कम है। 1977-78 में EPFO ने 8 फीसदी का ब्याज दिया था। उसके बाद से यह 8.25 फीसदी या उससे अधिक रही है। पिछले दो फाइनेंशियल ईयर (2019-20 और 2020-21) की बात करें तो ब्याज दर 8.50 फीसदी से रही है।

यहां समझें अब पीएफ  पर अब कितना कम मिलेगा ब्याज

ईपीएफओ एक्ट के तहत कर्मचारी को बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12 फीसदी पीएफ अकाउंट में जाता है। तो वहीं, कंपनी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी प्लस डीए का 12 फीसदी कंट्रीब्यूट करती है। कंपनी के 12 फीसदी कंट्रीब्यूशन में से 3.67 फीसदी कर्मचारी के पीएफ अकाउंट में जाता है और बांकी 8.33 फीसदी कर्मचारी पेंशन स्कीम में जाता है।

उदाहरण से समझिए पूरा मामला

ऐसे में मान लीजिए आपके पीएफ अकाउंट में 31 मार्च 2022 तक (वित्त वर्ष 2022-23 के लिए ओपनिंग बैलेंस) कुल 5 लाख रुपए जमा हैं। ऐसे में अगर आपको 8.50 फीसदी की दर से ब्याज मिलता तो आपको 5 लाख पर 4,2500 रुपए ब्याज के रूप में मिलते। लेकिन अब ब्याज दर को घटाकर 8.10 फीसदी करने के बाद आपको 40,500 रुपए ब्याज मिलेगा। हालांकि ये उदाहरण क मोटे तौर पर किया गया है।

1952 में पीएफ पर 3 फीसदी ब्याज दिए जाने की शुरुआत हुई थी

1952 में पीएफ  पर ब्याज दर केवल 3 फीसदी थी। हालांकि, उसके बाद इसमें बढ़त होती गई। पहली बार 1972 में यह 6 फीसदी के ऊपर पहुंची। 1984 में यह पहली बार 10 फीसदी के ऊपर पहुंची। पीएफ धारकों के लिए सबसे अच्छा समय 1989 से 1999 तक था। इस दौरान पीएफ पर 12 फीसदी ब्याज मिलता था। इसके बाद ब्याज दर में गिरावट आनी शुरू हो गई। 1999 के बाद ब्याज दर कभी भी 10 फीसदी के करीब नहीं पहुंची। 2001 के बाद से यह 9.5 फीसदी के नीचे ही रही है। पिछले सात सालों से यह 8.50 फीसदी या उससे कम रही है।

अब तक में सबसे अधिक 12 फीसदी रही ब्याज

पिछले दो फाइनेंशियल ईयर (2019-20 और 2020-21) की बात करें तो ब्याज दर 8.50 फीसदी से रही है। 2018-19 में 8.65 फीसदी रही है। वहीं अगर अब तक में सबसे अधिक ब्याज की बात की जाए तो वह फाइनेंशियल ईयर 1989-2000 में रही है। PF के शुरुआत 1952 में हुई थी। 1952 से 1955 तक 3 फीसदी की ब्याज रही है।

फाइनेंशियल ईयर के लास्ट में डिसाइड होता है ब्याज दर

पीएफ में ब्याज दर के निर्णय के लिए सबसे पहले फाइनेंस इनवेस्टमेंट एंड ऑडिट कमेटी की बैठक होती है। यह इस फाइनेंशियल ईयर में जमा हुए पैसों के बारे में हिसाब देती है। इसके बाद सीबीटी की बैठक होती है। सीबीटी के निर्णय के बाद वित्त मंत्रालय सहमति के बाद ब्याज दर लागू किया जाता है। ब्याज दर का निर्णय फाइनेंशियल ईयर के लास्ट में होता है।

Comments are closed.