समग्र समाचार सेवा
बेंगलुरु,25 जून: कर्नाटक सरकार ने फेक न्यूज़ और हेट स्पीच को नियंत्रित करने के लिए प्रस्तावित दो विवादास्पद विधेयकों की समीक्षा करने का निर्णय लिया है। इन विधेयकों को लेकर विपक्षी दलों, नागरिक समाज और यहाँ तक कि खुद कांग्रेस के भीतर से तीखी आलोचना सामने आई है।
प्रस्तावित विधेयक हैं:
कर्नाटक फेक न्यूज़ और भ्रामक जानकारी (निषेध) विधेयक, 2025
कर्नाटक हेट स्पीच और घृणा अपराध (निवारण और नियंत्रण) विधेयक, 2025
इन विधेयकों को अभी तक कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिली है और इन्हें होम और आईटी विभागों से परामर्श के लिए भेजा जाएगा। राज्य के आईटी/बीटी मंत्री प्रियांक खड़गे ने पुष्टि की है कि बिल अभी प्रारंभिक मसौदे की स्थिति में हैं।
हालांकि इन विधेयकों में कई ऐसे प्रावधान हैं जिन पर विवाद खड़ा हो गया है, जैसे—
सोशल मीडिया पर “संवेदनशील, अश्लील या महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुँचाने वाली पोस्ट” पर सजा
“सुपरस्टिशन” ( अंधविश्वास)फैलाने वाले कंटेंट पर बैन
सनातन धर्म का “अपमान” करने वाली सामग्री पर सात साल की जेल और ₹10 लाख तक का जुर्माना
इसमें जाति व्यवस्था की आलोचना पर भी रोक की संभावना को लेकर चिंता जताई गई है। सामाजिक कार्यकर्ता विनय श्रीनिवास ने ट्वीट कर कहा, “क्या अब जाति की आलोचना करने पर जेल जाना पड़ेगा?”
अंदरूनी कलह और विपक्षी हमले
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पहले से ही कई मोर्चों पर दबाव में हैं। कांग्रेस के कई विधायक, जैसे राजू कागे, सरकार पर वादे पूरे न करने और विकास फंड न देने के आरोप लगाकर इस्तीफा देने की चेतावनी दे चुके हैं। हाल ही में कांग्रेस के दो वरिष्ठ विधायकों ने सार्वजनिक रूप से भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
वहीं बीजेपी ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन कर सरकार को “शून्य शासन” और “भ्रष्टाचार का अड्डा” बताया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने ट्वीट कर कहा, “जब कांग्रेस के अपने विधायक सरकार से नाराज़ हैं, तो विपक्ष की क्या हालत होगी?”
दिल्ली से भी दबाव
कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धारमैया से 2015 की जाति जनगणना को रद्द कर नई जनगणना करवाने को कहा है, जिससे पार्टी के भीतर और तनाव बढ़ गया है। डिप्टी सीएम डी.के. शिवकुमार द्वारा नेतृत्व परिवर्तन की मांग और बेंगलुरु में 17,700 करोड़ के सुरंग सड़क परियोजना को लेकर भी सरकार घिरी हुई है।
सिद्धारमैया सरकार एक तरफ जहाँ सोशल मीडिया और फेक न्यूज़ को नियंत्रित करने के प्रयास में है, वहीं दूसरी ओर उसे पार्टी के भीतर असंतोष, भ्रष्टाचार के आरोप और विपक्ष के तीखे हमलों का सामना करना पड़ रहा है। अब देखना यह होगा कि प्रस्तावित विधेयक संशोधित होकर आगे बढ़ते हैं या जनता के विरोध के कारण ठंडे बस्ते में चले जाते हैं।
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