बड़े बदलाव का संकेत: क्या ट्रंप की धमकियों से बदली भारत की ट्रेड स्ट्रैटेजी? आंकड़ों से समझिए

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 मार्च।
वैश्विक व्यापार रणनीति में भारत के रुख में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगर दोबारा सत्ता में वापसी की तो कई व्यापारिक नीतियों में सख्ती लाने के संकेत दिए हैं। उनके बयानों के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या भारत ने अपनी व्यापारिक नीति में बदलाव किया है? आंकड़ों की गहराई में जाने पर संकेत मिलता है कि भारत ने अपनी ट्रेड स्ट्रैटेजी में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं और भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए अपने निर्यात और आयात संबंधों को नए सिरे से गढ़ रहा है।

अगर भारत के आयात और निर्यात के ताजा आंकड़ों को देखें तो पिछले कुछ वर्षों में व्यापार भागीदारों में विविधता लाने की रणनीति साफ नजर आती है। भारत अब अमेरिका और यूरोप पर पूरी तरह निर्भर न रहकर नए बाजारों की तलाश कर रहा है।

  • अमेरिका भारत के लिए एक बड़ा निर्यात गंतव्य बना हुआ है, लेकिन हाल के वर्षों में भारत ने अमेरिका पर अपनी निर्भरता को कम करने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं।
  • 2023 में भारत का अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार 128 अरब डॉलर तक पहुंचा, लेकिन चीन, रूस, UAE और अफ्रीकी देशों के साथ भी व्यापार बढ़ाने की कोशिशें तेज हुई हैं।
  • रूस से भारत का व्यापार 2022 की तुलना में 2023 में 68% बढ़ा है।
  • रूस से कच्चे तेल के आयात में वृद्धि ने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत किया है और अमेरिका की संभावित सख्ती से निपटने के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है।
  • चीन के साथ व्यापार में भी उछाल आया है, हालांकि भारत अभी भी चीन से आयात पर अत्यधिक निर्भर बना हुआ है।
  • UAE के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के बाद भारत का व्यापार 45% बढ़ा है।
  • भारत ने मध्य एशिया, अफ्रीकी देशों और दक्षिण अमेरिका में भी व्यापार बढ़ाने के लिए नीतियां बनाई हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने हालिया इंटरव्यू और रैलियों में संकेत दिया है कि अगर वे फिर से राष्ट्रपति बने तो वे अमेरिका से आयात करने वाले देशों पर भारी शुल्क लगाएंगे। उनका “America First” एजेंडा भारत सहित कई देशों के लिए व्यापार संबंधों को कठिन बना सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के इस रुख को देखते हुए भारत ने अमेरिका पर व्यापारिक निर्भरता को कम करने की नीति अपनाई है।

  • रूस से तेल आयात बढ़ाना
  • चीन के साथ तकनीकी और कच्चे माल के व्यापार को संतुलित करना
  • मध्य एशिया, यूरोप, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका के साथ व्यापारिक संबंध मजबूत करना

भारत अब मल्टी-लेयर ट्रेड पॉलिसी अपना रहा है, जिससे किसी एक देश पर अधिक निर्भरता न हो। सरकार का लक्ष्य लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देना, नए बाजारों में विस्तार करना और अधिक व्यापारिक संधियाँ (FTAs) करना है।

भारत की व्यापार नीति में बड़ा बदलाव हो रहा है, और यह सिर्फ अमेरिका या ट्रंप की संभावित नीतियों का असर नहीं है, बल्कि एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है। आने वाले समय में भारत को अपने निर्यात को और विविध बनाना होगा, घरेलू उत्पादन को बढ़ाना होगा और नए बाजारों में अवसर तलाशने होंगे।

अगर ट्रंप फिर से सत्ता में आते हैं और व्यापार पर सख्त रुख अपनाते हैं, तो भारत पहले से ही नई रणनीतियों के साथ तैयार नजर आ रहा है।

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