संसदीय सत्र में SIR और SSC विवाद: हंगामे की नौबत, लोकतंत्र की परीक्षा

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 7 अगस्त:
लोकसभा और राज्यसभा में चल रहा मानसून सत्र आज चौदहवें दिन भी अशांत रहा। बिहार की वोटर लिस्ट की विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और SSC फेज‑13 परीक्षा घोटाले को लेकर सांसदों की तीखी प्रतिक्रियाओं ने संसद की कार्यवाही चौपट कर दी। माहौल इतना गरमाया कि दोनों सदनों में अहम बिल भी फिलहाल अटक गए।

SIR: लोकतंत्र बनाम लोकतंत्र

“जहाँ लोकतंत्र तय होना है वही उसे दबाया जा रहा है”—इसी आयाम पर केंद्रित है SIR विवाद। बिहार में चुनाव आयोग द्वारा 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम हटाने की प्रक्रिया पर भारत ब्लॉक (कांग्रेस, TMC, DMK, RJD, वामपंथी दल) ने संसद परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया।
भारत ब्लॉक के सांसदों ने “Vote Ki Chori Bandh Karo” और “SIR Wapas Lo” जैसे नारे लगाए। विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीबों, दलितों, मुसलमानों और प्रवासी मजदूरों को लोकतांत्रिक मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश है।

सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को 9 अगस्त तक विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया है, जिसमें यह स्पष्ट हो कि किन कारणों से इतने मतदाता ड्राफ्ट लिस्ट से हटाई गईं। ADR ने आयोग पर पारदर्शिता और निष्पक्षता की कमी का आरोप लगाते हुए मामला सुप्रीम कोर्ट में उठाया है।

संसद में टकराव: कार्यवाही क्यों लटकी?

लोकसभा और राज्यसभा में दोनों सदनों का संचालन व्यवधानों से भरा रहा। लोकसभा बार-बार विपक्ष के नारेबाजी के कारण बंद हो गई, जबकि राज्यसभा में भी मुद्दा गूंजता रहा।
उन्होंने स्पोर्ट्स और एंटी‑डोपिंग बिल की चर्चा को टालने का आरोप लगाया। विपक्ष ने “निर्वाचन प्रक्रिया में गड़बड़ी” को लेकर शून्य समय (Zero Hour) में विशेष चर्चा की मांग की, लेकिन सदन में कोई कार्रवाई नहीं।

राकेश सिन्हा जैसे तृणमूल सांसद ने कहा कि SIR कोई तकनीकी अभ्यास नहीं, बल्कि “केंद्र सरकार की साजिश” है। वहीं सांसद ज्यादातर विस्थापित और माइनॉरिटी वर्गों का समर्थन कर रहे हैं, जिन्हें SIR से दुश्मनी लग रही है।

SSC विवाद: छात्रों का सवाल, संसद की जवाबदेही

महिला उम्मीदवारों से लेकर युवा अभ्यर्थियों तक, SSC के चरण 13 परीक्षा में हुई गड़बड़ियों को लेकर सदन में गहरी नाराजगी है। फेलाओं और पेपर लीक आरोपों ने संसद की ध्यान खींचा। सांसदों ने इसे युवाओं के भविष्य को प्रभावित करने वाला कदम बताया और परीक्षा प्राधिकरण से तात्कालिक जवाबदारी की मांग की।

लोकतंत्र की ताकत पर सवाल

यह फैला विवाद लोकतंत्र की जड़ों पर चोट जैसा है। SIR प्रक्रिया लोकतांत्रिक अधिकारों को कमजोर कर सकती है और SSC झूठे आश्वासनों से युवा पीढ़ी को निराश कर सकती है। संसद में हल्ला‑गरबला चलना नए लोकतांत्रिक गहरे संकट का संकेत है।

सरकार की ओर से कहा गया है कि SIR एक संवैधानिक प्रक्रिया है और उस पर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि यह कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन विपक्ष इस तर्क को लोकतंत्र के गिरते चरित्र से जोड़ रहा है।

निष्कर्ष: लोकतंत्र की संस्कृति का परीक्षण

इस मानसून सत्र ने संसद को परीक्षण की घड़ी में खड़ा कर दिया है। SIR और SSC विवाद ने केवल कमरों की दीवारें ही नहीं, जनता की आवाज और लोकतांत्रिक भावना को भी झकझोर दिया है। लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही ही बचाव का एकमात्र रास्ता है।

वोटर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया सटीक हो, परीक्षा तंत्र निष्पक्ष हो— तभी युवा, किसान, प्रवासी और वंचित वर्गों का लोकतंत्र में विश्वास कायम रहेगा। संसद को चाहिए कि वह विकलांग प्रक्रियाओं की चर्चा को अविलंब करे और लोकतंत्र को बचाने में अपना धर्म निभाए।

 

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