समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25 जुलाई: लोक सभा सभापति ओम बिड़ला ने शुक्रवार को सभी दलों की बैठक बुलाकर हालात संभालने की कोशिश की, जब विपक्षी सांसदों द्वारा प्रतिरोध और नारेबाज़ी के कारण संसद अधर में लटक गई। बिड़ला ने विधायकों से आग्रह किया कि वे प्रश्नकाल सहित शिष्टाचार के साथ सदन को सुचारू रूप से चलने दें।
ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष बहस बनी मुद्दा
बैठक के दौरान प्रस्ताव रखा गया कि ऑपरेशन सिंदूर पर 28 जुलाई को 16 घंटे की विशेष चर्चा आयोजित की जाए। बिड़ला ने आश्वस्त किया कि दोनों पक्षों के प्रतिनिधि इसमें शामिल होंगे और सभी मतभेद सदन के नियमों के अनुसार व्यक्त किए जा सकते हैं।
विपक्षी हंगामा: बिहार के SIR पर सवाल
दिन के पहले दौर में ही Lok Sabha और Rajya Sabha दोनों की कार्यवाही विपक्षी हंगामे की वजह से स्थगित कर दी गई। राज्यसभा सोमवार को प्रातः 11 बजे पुन: शुरू होगी जबकि लोकसभा दोपहर 2 बजे फिर परिचालन में आएगी। विपक्ष लगातार बिहार में चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर चर्चा की मांग कर रहा है, जिसे वे विधानसभा चुनाव से पहले जनगणना प्रक्रिया में हेराफेरी का प्रयास मानते हैं।
मतदाता वंचना पर कांग्रेस ने उठाया मुद्दा
कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने “बिहार में 52 लाख मतदाताओं की मांग वंचना” पर आधिकारिक चर्चा हेतु अडजर्नमेंट मोशन नोटिस दायर किया, जिसे उन्होंने “भारतीय संविधान एवं लोकतंत्र पर चुनाव आयोग द्वारा केंद्र सरकार के सहयोग से किया गया जानबूझकर हमला” बताते हुए आलोचना की।
INDIA गठबंधन सांसदों का प्रदर्शन जारी
इस दौरान INDIA गठबंधन के सांसदों, जिनमें मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी शामिल हैं, ने संसद परिसर के मकर द्वार पर पांचवां दिन लगातार प्रदर्शन किया। ये सांसद मतदान सुधार प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग करते हुए बैनर लेकर विरोध कर रहे हैं।
“यह गतिरोध ठीक नहीं” Speaker की चेतावनी
लोकसभा में तनाव बढ़ने पर बिड़ला ने सत्र को रोका और विपक्ष को “इस गतिरोध से स्थिति बिगड़ रही है” कहते हुए चेतावनी दी:
“प्रदर्शन रखने का तरीका होता है, यदि आप संसद को चलाना ही नहीं चाहते… तो सदन दोपहर 2 बजे तक स्थगित!”
उन्होंने सदन में लाए गए बैनरों की भी निंदा की और कहा कि संयमपूर्वक कार्यवाही जारी रखें।
उच्च दांव: लगातार स्थगन से सत्र प्रभावित
21 जुलाई से शुरू हुए मॉनसून सत्र में लगातार स्थगनों के कारण विधानसभा की कार्यवाही में बाधा आई है, जिससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता और मतदाता सूची सुधार के मुद्दों पर गंभीर विवाद उभरा है। ऑपरेशन सिंदूर और SIR की समीक्षा जैसे मुद्दों ने यह दिखा दिया है कि राजनीतिक टकराव अब गंभीर लोकतांत्रिक चुनौतियों की ओर बढ़ रहा है।
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