समग्र समाचार सेवा
पटना, 22 जुलाई: बिहार विधानसभा का मानसून सत्र अपने दूसरे दिन भी जोरदार हंगामे की भेंट चढ़ गया। विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर विपक्ष का विरोध मंगलवार को और तेज हो गया। जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी दलों ने जमकर नारेबाज़ी की और वेल में आकर प्रदर्शन करने लगे।
इस विरोध की वजह से सदन की सामान्य कार्यवाही बाधित हो गई और विधानसभा अध्यक्ष को कार्यवाही को दोपहर दो बजे तक स्थगित करना पड़ा। इससे पहले सोमवार को भी विपक्ष ने इसी मुद्दे को लेकर प्रदर्शन किया था, जो मंगलवार को और उग्र हो गया।
बाधित हुई विधायकों की एंट्री
विपक्ष के प्रदर्शन का असर इतना व्यापक था कि उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को मुख्य द्वार की जगह वैकल्पिक द्वार से विधानसभा में प्रवेश करना पड़ा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी आम रास्ते से नहीं, बल्कि पीछे के गेट से सदन में दाखिल हुए। विपक्ष के विधायक SIR के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रहे थे और उनके हाथों में प्लेकार्ड भी थे, जिन्हें बाद में मार्शल्स ने छीन लिया।
सत्ता बनाम विपक्ष की टकराहट
कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष के हंगामे ने माहौल को गर्मा दिया। प्रश्नोत्तरकाल शोरगुल के बीच शुरू हुआ, वहीं नीतीश कुमार अपनी सीट से खड़े हुए, लेकिन हंगामे को देखते हुए उन्होंने कुछ कहने की बजाय दोबारा बैठ जाना बेहतर समझा। स्पीकर ने विपक्षी विधायकों को चेतावनी दी, लेकिन हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा था। नंद किशोर यादव को भी विपक्षी विधायक सदन के गेट पर रोकते नजर आए।
सत्र का खास महत्व
यह सत्र बिहार की 17वीं विधानसभा का अंतिम सत्र है, जो 21 जुलाई से शुरू हुआ है और 25 जुलाई तक चलेगा। वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में राजनीतिक माहौल पहले से ही गर्म है। इस पृष्ठभूमि में SIR पर राजनीतिक खींचतान सत्र को और भी हंगामेदार बना रही है।
विपक्ष का आरोप है कि SIR के माध्यम से दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से जानबूझकर हटाए जा रहे हैं, जबकि सरकार इसे एक निष्पक्ष और जरूरी प्रक्रिया बता रही है।
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