श्रीलंका में हालात बेकाबू, 36 घंटे का देशव्यापी कर्फ्यू, भारत ने भेजा 40,000 हजार टन डीजल

समग्र समाचार सेवा

कोलंबो, 3 अप्रेल। अपने इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका में आपातकाल लगा दिया गया है। आर्थिक तंगी और बिजली कटौती के खिलाफ तेज होते विरोध प्रदर्शनों के बीच सरकार ने शनिवार शाम पांच बजे से सोमवार सुबह छह बजे तक के लिए 36 घंटे के देशव्यापी कर्फ्यू की भी घोषणा की। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से सार्वजनिक आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी।

सरकार की नाकामी को लेकर राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शन

अधिसूचना में उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में श्रीलंका में सार्वजनिक आपातकाल लागू करना सार्वजनिक सुरक्षा व्यवस्था के साथ-साथ समुदायों के लिए जरूरी वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति बनाए रखने के हित में है।’ रविवार को बड़ी संख्या में लोगों ने आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की नाकामी को लेकर राष्ट्रपति आवास के बाहर प्रदर्शन किया। इसको लेकर पुलिस ने 54 लोगों को गिरफ्तार किया था। हालांकि, अदालत ने इनमें से ज्यादातर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है और पुलिस से सभी के खिलाफ हिंसा में शामिल होने के व्यक्तिगत सुबूत पेश करने को कहा है। वकीलों का कहना है कि पुलिस ऐसा कर ही नहीं पाएगी।

भारत ने 40,000 हजार टन डीजल भेजा

इस संकट से निपटने के लिए भारत से 40,000 हजार टन डीजल की एक खेप शनिवार को श्रीलंका पहुंची। द्वीप राष्ट्र श्रीलंका में बिजली कटौती को कम करने के लिए नई दिल्ली से इस तरह की सहायता की चौथी खेप पहुंची है। कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बताया कि भारत द्वारा श्रीलंका को ईंधन की आपूर्ति की गई। उच्चायुक्त ने शनिवार को कोलंबो में ऊर्जा मंत्री गामिनी लोकुगे को 500 मिलियन डालर की लाइन आफ क्रेडिट के माध्यम से भारतीय सहायता के तहत 40,000 हजार टन डीजल की एक खेप सौंपी।

आपातकाल से बाधित होंगे मौलिक अधिकार

 

आपातकाल लगाने के फैसले पर टिप्पणी करते हुए स्वतंत्र थिंकटैंक ‘सेंटर फार पालिसी अल्टरनेटिव्स’ ने कहा, ‘प्रतिबंधों से संविधान द्वारा प्रदत्त कुछ मौलिक अधिकार बाधित हो सकते हैं। इनमें अभिव्यक्ति की आजादी से लेकर सभा, आवाजाही, पेशा, धर्म, संस्कृति और भाषा की स्वतंत्रता शामिल है।’ वहीं, वकीलों के मुताबिक इसके नियम पुलिस को गैरकानूनी रूप से एकत्र होने वाले लोगों को गिरफ्तार करने की असीम ताकत देते हैं। इसे लागू रखने के लिए हर 30 दिन बाद संसद से मंजूरी लेनी होती है। सरकार ने महामारी को बताया संकट का कारण अपनी सरकार की कार्रवाई का बचाव करते हुए राष्ट्रपति राजपक्षे ने कहा कि विदेशी मुद्रा भंडार का संकट उनकी वजह से नहीं पैदा हुआ है। महामारी की वजह से मंदी आई है। पर्यटकों की कमी से कमाई कम हुई है और अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है।

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