तीरथ रावत सरकार के छह दिन निराशाजनक: जोत सिंह बिष्ट

अजय रमोला
समग्र समाचार सेवा
मसूरी, 15 मार्च।

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने सोमवार को मसूरी एक प्रेस वार्ता में तीरथ रावत सरकार के छह दिन को निराशा जनक बताते हुए कहा कि उत्तराखंड में एक हफ्ते तक चले सियासी ड्रामे के बाद 10 मार्च को नये मुख्यमंत्री के रूप में श्री तीरथ सिंह रावत ने अपना पद भार संभालने के साथ मंत्री मण्डल का गठन पूरा करने के बाद विगत 6 दिनों में राज्य की जनता को निराश किया है।

किसान सूखे की चपेट में है, गन्ना किसानों को गने का बकाया भुगतान नही किया गया और राज्य सरकार इनकी समस्या का समाधान नहीं कर रही है। उन्होंने कानून व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि मातृशक्ति अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है। कानून व्यवस्था दुरुस्त करने तथा महिलाओं को उत्पीड़न एवं शारिरिक शोषण से बचने के बारे में भी मुख्यमंत्री जी उदासीन हैं। ऐसे ही कुछ और ज्वलन्त मुद्दों जिनका समाधान राज्य सरकार एवं मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में होना चाहिए था. हमारे नए मुख्यमंत्री ने उन पर बात न करके अपने अगले एक साल के कार्यप्रणाली का नमूना पेश कर दिया है।

नए मुख्यमंत्री ने राज्य की ज्वलंत समस्याओं पर बातचीत करने के बजाय त्रिवेंद्र सरकार के फैसलों को बदलने में ज्यादा रुचि दिखाई है। आज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने नए मुख्यमंत्री द्वारा अपनी सरकार के फैसलों को पलटने पर नाराजी व्यक्त करके एक नए झगड़े का संकेत दिया है।

नए मुख्यमंत्री ने इन 6 दिनों में राज्य की ज्वलंत समस्याओं के समाधान हेतु पहल करने से पूरी तरह परहेज किया है। विगत चार वर्षों में भाजपा की डबल इंजन सरकार द्वारा राज्य पर कर्ज को 20 हजार करोड़ बढ़ा दिया है। अनाप-सनाब खर्चा करके खाली किये गए राज्य के खजाने को भरने, राज्य के आर्थिक प्रबंधन को दुरूस्त करने के बारे में नए मुख्यमंत्री की तरफ से कोई पहल नही की गयी।

राज्य की बेरोजगारी दर चरम पर है। प्रवासी बेरोजगार रोजगार की तलाश में दर-दर भटक रहे है। सरकारी विभागों में रिक्त पदों पर भर्ती करने, संविदा कर्मियों की सेवाएं जारी रखने तथा बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में जोड़ने में नए मुख्यमंत्री ने अब तक कुछ नही बोला है।

राज्य में मंहगाई की मार से गरीब तबके की कमर टूट गयी है। मंहगाई पर नियंत्रण करने तथा महंगाई की मार से त्रस्त आमजन को छुटकारा दिलाने के बारे में मुख्यमंत्री जी द्वारा कोई निर्देश नही दिया जाना अचंभित करने वाला है। GDP G-गैस D-डीजल P- पेट्रोल के दाम बढ़ाने से आम जरूरत की चीजें महंगी हो गई हैं, महंगाई की मार से आम जन को छुटकारा मिलेगा या नहीं इस पर भी मुख्यमंत्री मौन हैं।मातृशक्ति अपने को असुरक्षित महसूस कर रही है। कानून व्यवस्था दुरुस्त करने तथा महिलाओं को उत्पीड़न एवं शारिरिक शोषण से बचने के बारे में भी मुख्यमंत्री जी उदासीन हैं। ऐसे ही कुछ और ज्वलन्त मुद्दों जिनका समाधान राज्य सरकार एवं मुख्यमंत्री जी की प्राथमिकता में होना चाहिए था। इससे यह तो प्रमाणित हो गया कि त्रिवेन्द्र सरकार के चार साल के कार्यकाल में विकास का पहिया पूरी तरह जाम रहा। राज्य की जनता को मंहगाई, बेरोजगारी और कोरोना का कहर झेलना पड़ा।

महिलाओं को भाजपा नेताओं का उत्पीड़न झेलना पड़ा। नये मुख्यमंत्री के द्वारा राज्य की इन ज्वलन्त समस्याओं के प्रति उदासीनता भविष्य में राज्य के लिए नुकसानदेह साबित होने वाली है। कांग्रेस पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत तथा नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत सरकार की नाकामियों के साथ साथ भारी बहुमत के बावजूद भजपा सरकार द्वारा जनता के साथ कि गयी वादाखिलाफी को गांव- गांव और घर-घर जाकर उजागर करेगी।

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