मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा करेंगे सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीश, कानूनी और मानवीय सहायता पर रहेगा फोकस

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,20 मार्च।
मणिपुर में जारी मानवीय संकट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट के छह न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल 22 मार्च को राज्य के विभिन्न राहत शिविरों का दौरा करेगा। इस यात्रा का उद्देश्य हिंसा प्रभावित आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (IDPs) को कानूनी और मानवीय सहायता प्रदान करना है। इस उच्चस्तरीय दल का नेतृत्व न्यायमूर्ति बी. आर. गवई करेंगे।

इस दौरे में न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, सूर्यकांत, विक्रम नाथ, एम. एम. सुंदरश, के. वी. विश्वनाथन और एन. कोटिश्वर शामिल होंगे, जो मणिपुर के विभिन्न राहत शिविरों का निरीक्षण कर वहां की स्थिति का आकलन करेंगे। न्यायमूर्ति गवई, जो कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (NALSA) के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, इस दौरान कई कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे।

मई 2023 से जारी हिंसा के कारण हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं और अस्थायी राहत शिविरों में रहने को मजबूर हैं। इस संकट को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट का यह दौरा कानूनी और मानवीय राहत प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस पहल के तहत इंफाल ईस्ट, इंफाल वेस्ट और उखरुल जिलों में नए कानूनी सहायता केंद्र स्थापित किए जाएंगे

इसके अलावा, राहत शिविरों में रहने वाले विस्थापितों को खाद्य सामग्री, कपड़े, स्वच्छता उत्पादों और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी वितरित की जाएंगी, जिससे उनकी कठिनाइयों को कम किया जा सके। NALSA के अनुसार, प्रत्येक राज्य विभाग को कम से कम पांच प्रमुख सरकारी योजनाओं की पहचान करने का निर्देश दिया गया है, जिससे विस्थापित परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल, पेंशन, रोजगार कार्यक्रमों और पहचान दस्तावेजों की पुनः प्राप्ति में सहायता मिल सके।

कानूनी सहायता के अलावा, चुनिंदा 25 विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम चेन्नई से मणिपुर आएगी, जो राहत शिविरों में चिकित्सा शिविर आयोजित करेगी। यह मेडिकल टीम छह दिनों तक लगातार स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करेगी, जिसमें आपातकालीन स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के साथ-साथ आवश्यक दवाइयों का वितरण भी किया जाएगा।

NALSA ने इस दौरान मणिपुर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (MASLSA) की भूमिका को भी रेखांकित किया, जिसने अब तक 273 विशेष कानूनी सहायता केंद्र स्थापित किए हैं। ये केंद्र सरकारी लाभ, चिकित्सा सहायता और पहचान दस्तावेजों के पुनर्निर्माण में विस्थापित व्यक्तियों की सहायता कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों का यह दौरा मणिपुर हाई कोर्ट की 12वीं वर्षगांठ समारोह के साथ हो रहा है, जो राज्य की न्यायिक प्रणाली के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। यह यात्रा न केवल कानूनी और मानवीय राहत को गति देगी, बल्कि मणिपुर में चल रहे संकट पर भी राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान केंद्रित करेगी।

मई 2023 में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) की एक रैली के बाद राज्य में हिंसा भड़क उठी थी। यह संघर्ष मैतेई हिंदू समुदाय और आदिवासी कुकी ईसाई समुदाय के बीच बड़े पैमाने पर जातीय हिंसा का रूप ले चुका है। इस हिंसा में अब तक हजारों लोग विस्थापित हो चुके हैं, जिसके कारण केंद्र सरकार को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती करनी पड़ी थी।

सुप्रीम कोर्ट के इस विशेष दौरे के साथ, अब पूरा ध्यान हिंसा प्रभावित लोगों को तत्काल राहत और दीर्घकालिक सहायता प्रदान करने पर केंद्रित है। इस पहल के जरिए विस्थापित परिवारों को कानूनी सहायता, स्वास्थ्य देखभाल और मूलभूत सेवाओं की गारंटी दी जाएगी ताकि वे सम्मानपूर्वक अपना जीवन पुनः शुरू कर सकें।

मणिपुर में जारी मानवीय संकट के बीच सुप्रीम कोर्ट की यह पहल न केवल न्यायिक व्यवस्था की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि हाशिए पर मौजूद समुदायों को उनके कानूनी अधिकारों, स्वास्थ्य सेवाओं और पुनर्वास सहायता का पूरा लाभ मिल सके।

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