स्मृति ज़ूबिन इरानी ने 10 मई, 2023 को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान “पोषण भी, पढ़ाई भी” का किया शुभारंभ
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 13मई। केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ज़ूबिन इरानी ने 10 मई, 2023 को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (ईसीसीई) द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान “पोषण भी, पढ़ाई भी” का शुभारंभ किया, जिसका मंतव्य “पोषण के साथ-साथ शिक्षा” है। उन्होंने इसका आरंभ महिला और बाल विकास राज्यमंत्री मुंजपरा महेन्द्रभाई, मंत्रालय के सचिव इंदेवर पाण्डेय और मंत्रालय के ईसीसीई कार्य-बल के अध्यक्ष संजय कौल की उपस्थिति में किया।
आठ सौ से अधिक राज्य प्रतिनिधियों, आईसीडीएस पदाधिकारियों, सीडीपीओ, पर्यवेक्षकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में केंद्रीय मंत्री स्मृति जुबिन इरानी ने प्रमुख वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा कि सरकार नई शिक्षा नीति के तहत विकास के लिये चिह्नित प्रमुख क्षेत्रों में कौशल निर्माण के क्रम में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने के प्रति कटिबद्ध है। इसमें शारीरिक/स्वाभाविक रूप से चलने-फिरने की क्षमता, चीजों को पहचाने-समझने की क्षमता सम्बंधी, सामाजिक-भावनात्मक-नैतिक, सांस्कृतिक/कलात्मक क्षेत्र तथा अभिव्यक्ति व शुरूआती भाषा, साक्षरता और अंकों की पहचान का विकास शामिल है। इन सबको ‘पोषण भी, पढ़ाई भी’ के तहत रखा गया है। ये समस्त कार्य राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित ईसीसीई कार्य-बल की सिफारिशों पर किया जायेगा। कार्य-बल की सिफारिशें राज्य सरकारों, विशेषज्ञों और सबसे अहम यह कि माता-पिताओं व समुदायों के साथ गहन चर्चा के परिणामस्वरूप की गई हैं।
नई शिक्षा सामग्री (टीएलएम) और कार्य-प्रणाली के बारे में केंद्रीय मंत्री ने जानकारी दी कि ईसीसीई सामग्री और दृश्य-श्रव्य सामग्री का एक लाख गतिविधियों के जरिये 10 हजार से अधिक समुदायों में 1.5 मिलियन माता-पिताओं के संदर्भ में परीक्षण किया गया। उन्होंने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय तथा राज्यों के सम्बंधित विभागों के सहयोग से समावेशी पठन-पाठन सामग्री के विकास के महत्त्व पर जोर दिया, ताकि दिव्यांग बच्चों के लिये ईसीसीई की कार्य-प्रणालियों का विकास हो सके तथा आंगनवाड़ी केंद्रों में अपने बच्चों को भेजने के बारे में आंगनावाड़ी कार्यकर्ता उनके माता-पिता को राजी कर सकें।
बुनियादी विकास में टीएलएम के रूप में खिलौनों की भूमिका को रेखांकित करते हुये, केंद्रीय मंत्री ने आसानी से उपलब्ध लकड़ी, कपड़े, मिट्टी आदि से स्थानीय स्तर पर बने डीआईवाई खिलौनों की चर्चा की, जिसके आधार पर आंगनवाड़ी केंद्रों को खिलौनों के लिये राष्ट्रीय कार्य-योजना (एनएपीटी) में शामिल किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने आंगनवाड़ी के उन कार्यकर्ताओं के जुनून और प्रतिबद्धता को मान दिया और बधाई दी, जिन्होंने डब्ल्यूएचओ मानकों के अनुसार लगभग सात करोड़ बच्चों की ऊंचाई और वजन को मापा और फिर मार्च 2023 में पोषण पखवाड़े के दौरान पोषण ट्रैकर आईसीटी प्लेटफॉर्म पर उसकी जानकारी अपलोड की। इस उपलब्धि को दुनिया में अद्वितीय बताते हुए, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री ने देश के सामूहिक विश्वास और बच्चों के विकास में समग्र रूप से योगदान करने की आंगनवाड़ी बहनों की क्षमता को दोहराया। ईसीसीई प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री के लिए प्रस्तावित बढ़े हुए बजट के साथ “पोषण भी, पढ़ाई भी” कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान (एनआईपीसीसीडी) के नेतृत्व में एक खेल-आधारित शिक्षण-शास्त्र के साथ तीन दिवसीय विशेष ईसीसीई प्रशिक्षण के माध्यम से 1.3 मिलियन से अधिक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को अतिरिक्त सहायता की भी घोषणा की गई थी।
महिला और बाल विकास राज्य मंत्री मुंजपरा महेन्द्रभाई ने पोषण को घर-घर में पहचान दिलाने में भारत की उपलब्धि का बखान किया। उन्होंने कहा, “एक साथ, हम अपने सिस्टम और हमारी सोच को बदलने की कोशिश कर रहे हैं – स्वच्छ भारत में बुनियादी स्वच्छता से, पोषण अभियान में अच्छे पोषण व्यवहारों तक, और अब “पोषण भी, पढ़ई भी।”
महिला और बाल विकास विभाग के सचिव इंदेवर पाण्डेय ने ‘पोषण भी, पढ़ई भी’ के मंतव्य की चर्चा करते हुये आंगनवाड़ी केंद्रों में दो घंटे दैनिक ईसीसीई शिक्षण प्राप्त करने के प्रयास का उल्लेख किया, जो मातृभाषा में किया जाएगा। इसके अलावा उसे राज्य पाठ्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रीय पाठ्यक्रम के ढांचे के साथ समायोजित किया जाएगा। उन्होंने देश की युवा आबादी के समग्र विकास के लिए सामूहिक जिम्मेदारी को भी रेखांकित किया, जिसमें 0-3 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों में सीखने की ललक पैदा करने और आंगनवाड़ी केंद्रों को जीवंत शिक्षण केंद्रों में बदलने की आवश्यकता शामिल है, जिसमें बच्चे भाग लेने के लिए तत्पर होंगे। उन्होंने कहा कि इस दिशा में, देश के सभी मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को पूर्ण आंगनवाड़ी केंद्रों में बदलने के लिए एक नीतिगत निर्णय लिया गया है।
इस कार्यक्रम में “ईसीसीई में आपका राज्य कैसे बढ़ सकता है: पूर्व की स्थिति से सीखना” शीर्षक से एक पैनल चर्चा का भी आयोजन किया गया। इसमें महाराष्ट्र, मेघालय, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश राज्यों से ईसीसीई के सर्वोत्तम व्यवहारों पर प्रकाश डाला गया, जिसका संचालन मंत्रालय के ईसीसीई कार्य-बल के अध्यक्ष संजय कौल ने किया। मेघालय सरकार के प्रधान सचिव संपत कुमार ने बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन परिणामों में सुधार के लिए ईसीडी में निवेश के महत्व और आंगनवाड़ी केंद्रों को ईसीई केंद्रों में बदलने पर ध्यान दिये जाने की आवश्यकता के बारे में बात की।
आईसीडीएस के उप निदेशक मोहम्मद जफर खान ने उत्तर प्रदेश राज्य में संभव, पोषण पाठशाला और कुपोषण को कम करने के लिए रोडमैप जैसी विभिन्न पहलों के बारे में बताया। आंगनवाड़ी केंद्रों को बदलने की आवश्यकता के बारे में संपत कुमार की बात को दोहराते हुए, उन्होंने बाला-पेंटिंग्स, बच्चों के अनुकूल फर्नीचर, वाईफाई, एलईडी टीवी आदि को शामिल करने पर चर्चा की।
आईसीडीएस की आयुक्त (अतिरिक्त प्रभार) डॉ. इंदुरानी जाखड़ ने महाराष्ट्र में लागू सर्वोत्तम ईसीसीई व्यवहारों के बारे में बात की और ट्रिपल ए: आरंभ, आकार, अंकुर की अपनी रणनीति को रेखांकित किया। आकार आंगनवाड़ी केंद्र स्तर पर ईसीसीई से संबंधित है और 2016 से लागू एक बाल केंद्रित पूर्वस्कूली शिक्षा कार्यक्रम है। यह प्रयोगात्मक शिक्षण के माध्यम से बच्चे के समग्र विकास पर केंद्रित है और इसके कार्यान्वयन के पिछले पांच वर्षों में सीखने के परिणामों में भारी वृद्धि देखी गई है।
सामाजिक कल्याण और महिला सशक्तिकरण के प्रधान सचिव एसजे चिरू ने तमिलनाडु के परिप्रेक्ष्य को प्रस्तुत किया,, जहां 54 हजार आंगनवाड़ी, 22 लाख से अधिक बच्चों की सेवा करते हैं। उत्कृष्ट व्यवहारों का उल्लेख करते हुए, उन्होंने आदि पैडी वियालुडु पप्पा (एपीवीपी) कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी, जो एक विकासात्मक और आयु अनुकूल वार्षिक पाठ्यक्रम है। इसके तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को 11 बाल अनुकूल-विषय आधारित गतिविधियों की जिम्मेदारी दी जाती है।
नई पद्धति और संबंधित तकनीकों पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा एक रुचिपूर्ण प्रदर्शन के साथ राष्ट्रीय कार्यक्रम समाप्त हुआ।
Launched ‘Poshan Bhi Padhai Bhi’ , a trailblazer in the realm of Early Childhood Care & Education. Empowered by the NEP 2020, the program manifests the vision of Hon PM @narendramodi ji across 1.3 million+ Anganwadi centres in the country. pic.twitter.com/O5Z8SYfS5r
— Smriti Z Irani (@smritiirani) May 10, 2023
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