समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 25नवंबर।
कांग्रेस पार्टी के चाणक्य रहे अहमद पटेल का बुधवार तड़के निधन हो गया। पार्टी के दिग्गज नेता और गुजरात से राज्यसभा सांसद का निधन कांग्रेस के लिए एक बड़े झटके जैसा है। अक्टूबर में कोरोना संक्रमित होने के बाद उनका गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। इलाज के दौरान मल्टी ऑर्गन फेल्योर का शिकार होने के चलते उनका निधन हो गया।
1.कांग्रेस पार्टीअहमद पटेल के चाणक्य के रूप में जाने जाते थे और सोनिया गांधी के सलाहकार भी थे। इनके वजह से ही सोनिया गांधी भारतीय राजनीति में स्थापित हो पाईं हैं और प्रधानमंत्री पति राजीव गांधी की मौत के बाद इतनी बड़ी पार्टी संभाल पाई हैं।
2.अहमद पटेल कांग्रेस में हमेशा संगठन के आदमी माने गए. वे पहली बार चर्चा में तब आए थे जब 1985 में राजीव गांधी ने उन्हें ऑस्कर फर्नांडीस और अरुण सिंह के साथ अपना संसदीय सचिव बनाया था।
3.अहमद पटेल के दोस्त, विरोधी और सहकर्मी उन्हें अहमद भाई कह कर पुकारते रहे, लेकिन वे हमेशा सत्ता और प्रचार से खुद को दूर रखना ही पसंद करते थे।
4. सोनिया गांधी, मनमोहन सिंह और संभवतः प्रणब मुखर्जी के बाद यूपीए के 2004 से 2014 के शासनकाल में अहमद पटेल सबसे ताकतवर नेता थे, इसके बावजूद वे उस दौर में केंद्र सरकार में मंत्री के तौर पर शामिल नहीं हुए।
5. 71 साल के अहमद पटेल तीन बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं और 5 बार राज्यसभा के सांसद रहे हैं। अगस्त 2018 में उन्हें कांग्रेस पार्टी का कोषाध्याक्ष नियुक्त किया गया था। पहली बार 1977 में 26 साल की उम्र में भरूच से लोकसभा का चुनाव जीतकर अहमद पटेल संसद पहुंचे थे. हमेशा पर्दे के पीछे से राजनीति करने वाले अहमद पटेल कांग्रेस परिवार के विश्वस्त नेताओं में गिने जाते थे. वे 1993 से राज्यसभा सांसद थे।
राजनीतिक जीवन
पटेल ने अपनी राजनीतिक सफर की शुरुआत नगरपालिका के चुनाव से की थी, जिसके बाद आगे पंचायत के सभापति भी बन गए। बाद में इन्होंने कांग्रेस पार्टी में प्रवेश किया और उसके बाद राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष बन गए। इन्दिरा गांधी के आपातकाल के बाद 1977 में आम चुनाव हुए थे, जिसमें इन्दिरा गांधी की हार हुई थी। इसी चुनाव में इनकी जीत हुई और पहली बार पहली बार लोकसभा में आए थे। ये तीन बार लोकसभा सभा सांसद(1977, 1980,1984)और पांच बार राज्यसभा सांसद(1993,1999, 2005, 2011, 2017 वर्तमान) रहे हैं।
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