सोनिया गांधी पद छोड़ने को तैयार लेकिन कार्यसमिति ने ठुकराई इस्तीफे की पेशकश

समग्र समाचार सेवा

नई दिल्ली, 14 मार्च। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पांच राज्यों के चुनाव की हार के बाद कांग्रेस कार्य समिति की रविवार को हुई बैठक में गांधी परिवार का नेतृत्व छोड़ने की पेशकश कर दी। पराजय को लेकर नेतृत्व पर हो रहे चौतरफा हमलों की बात उठाते हुए सोनिया ने कहा कि पार्टी को लगता है कि गांधी परिवार का हट जाना कांग्रेस के हित में है तो सोनिया, राहुल और प्रियंका हटने के लिए ही नहीं कोई भी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं।

सीडब्‍ल्‍यूसी ने ठुकराई पेशकश

हालांकि कार्य समिति ने सर्वसम्मति से इस पेशकश को ठुकराते हुए सोनिया गांधी के नेतृत्व में विश्वास जताया और पार्टी की मौजूदा हार से गहराए संकट को देखते हुए व्यापक संगठनात्मक बदलाव करने और खामियों को दूर करने के लिए अधिकार भी दे दिया। साथ ही कार्यसमिति में यह भी तय हुआ कि कांग्रेस को मौजूदा संकट से उबारने के लिए पार्टी तमाम वरिष्ठ नेताओं का संसद सत्र के तत्काल बाद एक चिंतन शिविर करेगी।

करीब पांच घंटे चली बैठक में सोनिया ने पार्टी का हित ऊपर रखा

सूत्रों के अनुसार सोनिया गांधी ने बैठक के अपने शुरुआती संबोधन में ही पांच राज्यों के चुनावों में कांग्रेस की हुई करारी शिकस्त पर पार्टी में उठ रहे असंतोष के मुखर स्वर के साथ ही राजनीतिक विमर्श में गांधी परिवार पर किए जा रहे हमलों की चर्चा करते हुए पद छोड़ने की पेशकश की। करीब पांच घंटे चली बैठक में उन्होंने कहा कि कार्यसमिति को ऐसा ही लगता है तो वे तीनों पार्टी में अपनी भूमिका से पूरी तरह हट जाने के लिए तैयार हैं।

कांग्रेस को लेकर जताई चिंता

कार्यसमिति ने सोनिया की इस पेशकश को तत्काल एक सुर में खारिज कर दिया। असंतुष्ट समूह के नेताओं की अगुआई कर रहे गुलाम नबी आजाद ने सबसे पहले इसे ठुकराते हुए कहा कि सोनिया गांधी के नेतृत्व पर उन लोगों ने कभी सवाल नहीं उठाए बल्कि कांग्रेस की लगातार खराब होती हालत को दुरूस्त नहीं किए जाने को लेकर सबकी चिंता है।

गुलाम नबी आजाद बोले- हम पार्टी के साथ

गुलाम नबी आजाद के इस रुख के बाद सोनिया गांधी ने कार्यसमिति में बेबाक और खुली रूप में पार्टी के हालात पर अपनी बात रखने के लिए कहा। इस पर आजाद ने कहा कि कांग्रेस की गंभीर हुई राजनीतिक चुनौती को देखते हुए खामियों को दूर करने और बदलाव की बात उठाने पर विद्रोही और भाजपा का एजेंट करार दिया जाता है जबकि सच्चाई यह है कि जिन लोगों ने हमें भाजपा का एजेंट बताया वे खुद भाजपा में चले गए और हम तो पार्टी के साथ ही हैं।

बाकी दलों को लाना होगा साथ

इसी दौरान राहुल गांधी की इस बात से आजाद ने सहमति जताई कि कांग्रेस ही भाजपा के खिलाफ विचाराधारा के आधार पर मजबूती से लड़ाई लड़ने वाली एकलौती पार्टी है। मगर आजाद ने यह भी कहा कि मौजूदा हालात में कांग्रेस अकेले भाजपा को नहीं हरा सकती ओर इसके लिए बाकी दलों को साथ लाना ही होगा।

कोशिश करने में हर्ज नहीं, एकजुटता के साथ बढ़ा जाए आगेः राहुल

राहुल गांधी ने कहा कि विपक्षी खेमे के कई दल फिलहाल पार्टी के साथ नहीं आ रहे हैं। इस पर आजाद ने कहा कि कांग्रेस का प्रयास जारी रहना चाहिए और यदि हम दस पार्टियों से बात करेंगे तो छह सात आएंगे ही। सूत्रों के अनुसार असंतुष्ट खेमे के दूसरे वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और मुकुल वासनिक ने 2014 के बाद अब तक हुए 49 चुनावों में कांग्रेस के 39 चुनाव हारने का आंकड़ा रखा।

असंतुष्ट खेमे ने जताई चिंता

साथ ही कहा कि पार्टी केवल हार ही नहीं रही बल्कि उसका वोट प्रतिशत भी एक दो फीसद तक आ रहा है ओर यह गंभीर चिंता की बात है। आनंद शर्मा ने कांग्रेस को अपनी विचारधारा की राह पर मजबूती से बने रहने की बात भी कही। साथ ही यह भी कहा कि चाहे इस्लामी कटृटरपंथ हो या हिंदू कटटरपंथ हमें दोनों के खिलाफ अपने दृढ रुख को जारी रखना होगा।

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