“अंतरिक्ष अब हमारे करीब है”: ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘वायसैट: स्पेस फॉर गुड इंडिया चैलेंज 2025’ के विजेताओं को बधाई दी

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 5 अक्टूबर: केंद्रीय संचार एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य एम. सिंधिया ने कहा कि “अंतरिक्ष — मानवता की अंतिम सीमा — अब हमारी पहुंच में है।” उन्होंने यह बात ‘वायसैट: स्पेस फॉर गुड इंडिया चैलेंज 2025’ के विजेताओं को बधाई देते हुए कही। सिंधिया ने कहा कि देश के युवा नवाचारकर्ताओं द्वारा अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग कर वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान करना भारत के आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए सिंधिया ने कहा,

“आप जैसे युवा उद्यमी कृषि, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अपनी अद्भुत सोच और प्लेटफॉर्म के माध्यम से अंतरिक्ष को हमारे जीवन के और करीब ला रहे हैं। आप सभी को हार्दिक बधाई। आशा है आप निरंतर सफलता प्राप्त करेंगे और भारत का तिरंगा विश्व में और ऊंचा फहराएंगे।”

इस नवाचार प्रतियोगिता का आयोजन वैश्विक सैटेलाइट संचार कंपनी वायसैट इंक. (Viasat Inc.) द्वारा किया गया। इसमें बीआईटीएस पिलानी के मयंक गोलेच्छा ने अपने प्रोजेक्ट ‘मैग्नोसैट’ (MagnoSat) के लिए राष्ट्रीय विजेता का खिताब जीता। उनके प्रोजेक्ट में सुपरकंडक्टिंग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रिंग्स का उपयोग कर उपग्रहों को बिना पारंपरिक ईंधन के अंतरिक्ष में गति देने का अभिनव प्रस्ताव रखा गया है। मयंक को इसके लिए ₹4 लाख का पुरस्कार मिला।

दूसरा स्थान निरमा यूनिवर्सिटी की भूमि रायाणी को उनके प्रोजेक्ट ‘प्लाज़्मा पाथवेज़’ (Plasma Pathways) के लिए मिला, जिनको ₹2.5 लाख की राशि प्रदान की गई। तीसरे स्थान पर आईआईटी कानपुर के अरुंटेजा जरुपुला रहे, जिन्हें उनके प्रोजेक्ट ‘स्टेलर’ (STELLAR) के लिए ₹1 लाख का पुरस्कार मिला। यह प्रोजेक्ट कक्षीय अंतरिक्ष बस्तियों को विनिर्माण केंद्र के रूप में विकसित करने पर केंद्रित है।

विजेता मयंक गोलेच्छा ने कहा,

“इस सम्मान ने मेरे विश्वास को और मजबूत किया है कि अंतरिक्ष तकनीक मानवता के भविष्य को बदल सकती है। यह अवसर मुझे और अधिक सृजनशील और तकनीकी रूप से नवाचारी बनने के लिए प्रेरित करता है।”

वायसैट इंडिया के प्रबंध निदेशक गौतम शर्मा ने कहा कि इस प्रतियोगिता ने भारतीय युवाओं की “अविश्वसनीय प्रतिभा और जुनून” को प्रदर्शित किया है। उन्होंने कहा, “यह प्रतियोगिता भारत के नवाचार तंत्र और अंतरिक्ष तकनीक की वास्तविक समस्याओं के समाधान में भूमिका का प्रमाण है।”

दूरसंचार विभाग (DoT) के डीडीजी (सैटेलाइट इंजीनियरिंग) अनिल कुमार भारद्वाज ने कहा,

“यह नवाचारकों के लिए उत्साहजनक समय है। उद्योग और सरकार दोनों ही भारत-केंद्रित समाधान को समर्थन देने के लिए तैयार हैं।”

इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल में IN-SPACe, संचार मंत्रालय, इंडियन स्पेस एसोसिएशन, स्कायरूट एयरोस्पेस और वायसैट के प्रमुख विशेषज्ञ शामिल थे। शीर्ष तीन विजेताओं के अलावा, अन्य पाँच फाइनलिस्ट को अगले छह महीनों तक STEM और स्पेस सेक्टर में करियर अवसरों के लिए मेंटरशिप दी जाएगी।

 

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