समग्र समाचार सेवा
पश्चिम बंगाल,4 मार्च। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा ने पश्चिम बंगाल में ही में एक भाषण में कहा कि हिंदू समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा लेफ्ट और लिबरल विचारधारा से है। उनका कहना था कि हिंदू समाज को कमजोर करने की कोशिशें एक लंबी विरासत का परिणाम हैं, जो ममता बनर्जी जैसे नेताओं को मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि यह विरासत लेफ्ट और लिबरल समूहों द्वारा बनाई गई है, जो हमेशा से हिंदू समाज को कमजोर करने की दिशा में काम कर रहे हैं।
हिमंता बिस्वा शर्मा ने यह भी कहा कि हिंदू समाज के लिए यह समय और अवसर का पल है, जब उन्हें अपनी शक्ति को पहचानने की जरूरत है। उन्होंने भारत के इतिहास का हवाला देते हुए कहा, “औरंगजेब ने कहा था कि हिंदू समाज खत्म हो जाएगा, लेकिन यह केवल औरंगजेब था जो खत्म हो गया। हिंदू समाज आज भी जीवित है, और हमेशा जीवित रहेगा।”
मुख्यमंत्री ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा, “राहुल गांधी और ममता बनर्जी जैसे नेता यह सोचते हैं कि हिंदू समाज खत्म हो जाएगा, लेकिन यह उनकी गलतफहमी है। हिंदू समाज कभी खत्म नहीं होगा। यह वही समाज है जिसने कई सालों तक विविधताओं के बावजूद अपने अस्तित्व को बनाए रखा है।”
शर्मा ने यह भी स्पष्ट किया कि यह स्थिति केवल असम या पश्चिम बंगाल तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश में हिंदू समाज के खिलाफ एक संगठित विचारधारा सक्रिय है। उनका मानना है कि यह विचारधारा पूरे देश के धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा, “यह लेफ्ट और लिबरल विचारधारा हमारे समाज के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह विचारधारा उस समय से चली आ रही है, जब भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें शुरू हुई थीं। यह विरासत ममता बनर्जी को मिली है, और यही वजह है कि हिंदू समाज को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।”
हिमंता बिस्वा शर्मा ने ममता बनर्जी और उनके समर्थकों पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे भारतीय संस्कृति और धर्म के खिलाफ एक सुनियोजित अभियान चला रहे हैं। “वे केवल राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू धर्म और उसकी परंपराओं को नजरअंदाज कर रहे हैं। लेकिन यह हिंदू समाज है जो हमेशा अपने धर्म, संस्कृति और परंपराओं को बनाए रखेगा, चाहे जो भी हो।”
शर्मा ने यह भी जोड़ा कि असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में भी हिंदू समाज को उनकी अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा करनी होगी। उन्होंने सभी हिंदू संगठनों और समूहों से अपील की कि वे इस विचारधारा के खिलाफ एकजुट हों और अपनी ताकत पहचानें।
मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा के इस बयान ने राज्य और देशभर में राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। विशेष रूप से पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार के खिलाफ यह बयान उनके राजनीतिक विरोधियों द्वारा एक और हमला माना जा रहा है। ऐसे में यह देखना होगा कि आने वाले समय में यह बयान किस तरह से राजनीतिक विमर्श को प्रभावित करता है।
ममता बनर्जी और हिंदू समाज: पश्चिम बंगाल में बढ़ते राजनीतिक विवाद
कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सरकार के खिलाफ हिंदू समाज के एक हिस्से में असंतोष बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक टिप्पणीकारों के अनुसार, ममता बनर्जी की सरकार के उदारीकरण के फैसले और उनके शासन की नीतियों को लेकर धार्मिक कट्टरता को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। यह स्थिति विशेष रूप से उन हिंदू समूहों के बीच देखने को मिल रही है जो महसूस करते हैं कि उन्हें सरकार द्वारा पर्याप्त ध्यान और समर्थन नहीं मिल रहा है।
हाल ही में, बीजेपी और अन्य हिंदू संगठनों ने ममता सरकार पर आरोप लगाया कि वह हिंदू विरोधी नीतियों को बढ़ावा दे रही है, जिससे राज्य में धार्मिक असंतुलन पैदा हो रहा है। एक बयान में बीजेपी के नेता ने कहा, “ममता बनर्जी की सरकार हिंदू समाज के लिए खतरे का कारण बन रही है। उनके प्रशासन में हिंदू समुदाय की उपेक्षा की जा रही है। यह स्थिति बेहद गंभीर है और हमें इसके खिलाफ आवाज उठानी होगी।”
ममता बनर्जी ने अपने आलोचकों को जवाब देते हुए कहा कि वह हमेशा धर्मनिरपेक्ष राजनीति में विश्वास करती हैं और किसी भी धर्म के लोगों के साथ भेदभाव नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा, “मुझे यह आरोप बर्दाश्त नहीं है। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं, और हमारा उद्देश्य सभी वर्गों के लिए समान विकास सुनिश्चित करना है।”
दूसरी ओर, बंगाल में बढ़ते हिंदू असंतोष को लेकर राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह राज्य में आने वाले विधानसभा चुनावों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन सकता है। बीजेपी ने इसे अपने चुनाव प्रचार का अहम हिस्सा बनाने का फैसला किया है, और राज्य में हिंदू वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रही है।
इस स्थिति में राहुल गांधी और ममता बनर्जी की समीकरण भी काफी दिलचस्प हो गई है। कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि ममता बनर्जी और कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी की गठजोड़ बंगाल में बीजेपी के खिलाफ एक मजबूत विपक्षी बस्तियन के रूप में उभर सकता है। लेकिन, सवाल यह है कि क्या यह गठजोड़ हिंदू समाज के बीच बीजेपी के दबदबे को चुनौती देने में सक्षम होगा।
राज्य में चल रही इस राजनीतिक उठापटक और धर्म के सवालों के बीच, आगामी चुनाव में राजनीतिक घटनाक्रम किस दिशा में मोड़ेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।
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