जासूसी के आरोप में गिरफ्तार व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा केरल सरकार की मेहमान थी
आरटीआई खुलासे से मचा बवाल, पर्यटन अभियान में शामिल थी 'स्पाई व्लॉगर'।
समग्र समाचार सेवा
तिरुवनंतपुरम, 7 जुलाई: हाल ही में जासूसी के आरोप में गिरफ्तार की गई ट्रैवल व्लॉगर ज्योति मल्होत्रा को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक आरटीआई (सूचना का अधिकार) जवाब से यह सामने आया है कि ज्योति मल्होत्रा केरल सरकार के पर्यटन संवर्धन अभियान के तहत उनकी मेहमान थी। इस खुलासे के बाद से केरल की राजनीति में भूचाल आ गया है और विपक्षी दल सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं। यह घटना राज्य-प्रायोजित प्रभावशाली व्यक्तियों (इन्फ्लुएंसर) के साथ जुड़ाव में राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थों पर महत्वपूर्ण चिंताएं बढ़ाती है।
केरल पर्यटन विभाग का ‘मेहमान नवाजी’ अभियान
आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार, ज्योति मल्होत्रा उन 41 प्रभावशाली व्यक्तियों में से थीं जिन्हें केरल पर्यटन विभाग ने राज्य के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए आमंत्रित किया था। इस अभियान के तहत, केरल सरकार ने इन व्लॉगर्स और इन्फ्लुएंसर्स के यात्रा, ठहरने और भोजन का पूरा खर्च उठाया था। इतना ही नहीं, वीडियो निर्माण के लिए एक निजी एजेंसी को भी हायर किया गया था ताकि वे केरल की सुंदरता को बेहतर तरीके से प्रदर्शित कर सकें। मल्होत्रा ने केरल के विभिन्न पर्यटन स्थलों का दौरा किया और अपने यूट्यूब चैनल “ट्रैवल विद जो” (Travel with Jo) तथा अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के लिए स्थानीय संस्कृति और स्थलों के बारे में व्लॉग बनाए। उनका मकसद केरल को एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में ब्रांड करना था।
राजनीतिक गलियारों में गरमाई बहस
यह खुलासा होते ही राजनीतिक गलियारों में तीव्र प्रतिक्रिया देखने को मिली है। विपक्षी दलों ने केरल सरकार पर उचित सावधानी बरतने (ड्यू डिलिजेंस) में लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि किसी भी व्यक्ति को सरकारी अभियान में शामिल करने से पहले उसकी पृष्ठभूमि की पूरी जांच की जानी चाहिए थी, खासकर जब यह राज्य की सुरक्षा से जुड़ा मामला हो। विपक्ष ने सवाल उठाया है कि क्या सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन ठीक से किया या नहीं। इस घटना ने सरकारी विभागों द्वारा प्रभावशाली व्यक्तियों के चयन की प्रक्रिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी है।
पर्यटन मंत्री ने किया बचाव, उठे सुरक्षा के सवाल
केरल के पर्यटन मंत्री पी.ए. मोहम्मद रियास ने इस निमंत्रण का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि यह एक नियमित और पारदर्शी अभियान का हिस्सा था जिसका उद्देश्य केरल को एक वैश्विक पर्यटन स्थल के रूप में स्थापित करना है। रियास ने तर्क दिया कि सरकार जासूसी के आरोपों का अनुमान नहीं लगा सकती थी। उनका कहना है कि उस समय मल्होत्रा के खिलाफ कोई आरोप नहीं थे और उनका चयन निर्धारित मानदंडों के अनुसार ही किया गया था।
हालांकि, विपक्षी दलों और सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के अभियानों में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि विदेशी नागरिकों या ऐसे व्यक्तियों को, जिनकी पृष्ठभूमि संदिग्ध हो सकती है, महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थानों तक पहुंच प्रदान करना खतरनाक हो सकता है। यह मामला भारत में इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन साधने की चुनौती को सामने लाता है। सरकार को भविष्य में ऐसे अभियानों के लिए अधिक सख्त जांच प्रक्रियाओं को अपनाने की आवश्यकता पर विचार करना चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। इस घटना ने देश भर में सुरक्षा एजेंसियों को भी चौकन्ना कर दिया है।
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