अटल ऊष्मायन ( इन्क्यूबेशन ) सेंटर, बीएआरसी द्वारा आयोजित ‘ ऊष्मायन ( इन्क्यूबेशन ) के लिए सूखे और गीले अपशिष्ट की प्रबंधन तकनीकों ‘ पर स्टार्ट- अप उद्यमी कार्यशाला का आयोजन
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,14 मार्च। परमाणु ऊर्जा विभाग ( डीएई ) के अणुशक्ति नगर , मुंबई 400094 स्थित सम्मेलन केंद्र में भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ( बीएआरसी ) के अटल ऊष्मायन केंद्र ( इनक्यूबेशन सेंटर एआईसी ) द्वारा गत शुक्रवार 10 मार्च 2023 को एक स्टार्ट-अप उद्यमिता कार्यशाला का आयोजन किया गया था। एआईसी – बीएआरसी की स्थापना अटल नवोन्मेष ( इनोवेशन ) मिशन ( एआईएम ) , नीति आयोग के कार्यक्षेत्र में परमाणु ऊर्जा विभाग ( डीएई ) की स्पिन-ऑफ तकनीकों के आधार पर एक स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तन्त्र ( इको-सिस्टम ) बनाने के लिए की गई है। अटल ऊष्मायन केंद्र – भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ( एआईसी – बीएआरसी ) ने चार उद्योगों के साथ भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ( बीएआरसी ) की स्पिन ऑफ प्रौद्योगिकियों के लिए ऊष्मायन समझौतों पर हस्ताक्षर करके 22 दिसंबर 2022 को अपना परिचालन शुरू किया था।
एआईसी – बीएआरसी की स्थापना माननीय प्रधानमंत्री द्वारा घोषित ” आत्मनिर्भर भारत ” अभियान और 17 मई 2020 को वित्त मंत्री द्वारा घोषित परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में बाद के सुधारों के अनुरूप की गई है। एआईसी – बीएआरसी सरकारी अनुसंधान सुविधाओं और तकनीकी उद्यमियों के बीच तालमेल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से डीएई में स्थापित पहले प्रौद्योगिकी विकास – सह – ऊष्मायन केंद्रों में से एक है।
अंतिम वर्ष के छात्रों और विज्ञान /इंजीनियरिंग / वाणिज्य में स्नातक की पढ़ाई पूरी करने वालों को इस आयोजन के लिए आमंत्रित किया गया था। आमंत्रण के लिए बहुत बड़ी संख्या में आवेदन मिले थे और उनमे से लगभग 150 प्रतिभागियों ने इस कार्यशाला में भाग लिया। कार्यशाला में, क्षेत्र में बीएआरसी के वैज्ञानिक विशेषज्ञों द्वारा गीले अपशिष्ट प्रबंधन के लिए शेषा ( एसएचईएसएचए ) ) और शुष्क अपशिष्ट प्रबन्धन के लिए त्वतिर जैव- कम्पोस्टिंग ( रैपिड बायो-कम्पोस्टिंग ) नामक दो प्रौद्योगिकियों को प्रस्तुत किया गया और उनके व्यवसाय मॉडल भी प्रस्तुत किए गए। प्रतिभागियों के लिए शेषा और रैपिड बायो-कम्पोस्टिंग प्लांट दोनों के लिए अणुशक्तिनगर और आस-पास के क्षेत्रों में काम करने वाले मॉडल के प्रदर्शन की व्यवस्था की गई थी । इन प्रौद्योगिकियों का उद्देश्य भारत सरकार के स्वच्छ भारत मिशन में योगदान करना है । इसके अतिरिक्त, अपशिष्ट से उत्पन्न होने वाले उत्पाद के माध्यम से ऐसे अपशिष्ट को सम्पदा ( वेस्ट टू वैत्ल्थ ) में परिवर्तित किया जा रहा है, जो निष्प्रयोज्य होने के बावजूद जैव भू-रासायनिक चक्रों की निरंतरता सुनिश्चित करने और महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के साथ मिट्टी को फिर से उपयोगी एवं पोषक बनाने के लिए प्रकृति में वापस चला जाता है ।
शेषा एक अनूठा , सुगठित कुंडली आकार का अपशिष्ट परिवर्तक है जिसका उद्देश्य छोटी आवासीय समितियों ( हाउसिंग सोसायटीज ) , रेस्तरां आदि में उत्पन्न होने वाले जैव-बिखंडनीय ( बायोडिग्रेडेबल ) कचरे का प्रबंधन करना है और इस प्रकार यह बायोडिग्रेडेबल कचरे के विकेंद्रीकृत प्रसंस्करण की अनुमति देता है । इस प्रणाली में कचरे को संसाधित करने के साथ-साथ मिट्टी के अनुप्रयोगों के लिए आवश्यक अच्छी गुणवत्ता वाले ईंधन और खाद के उत्पादन की जबरदस्त क्षमता है । शेषा नाम इस परिवर्तक ( डाइजेस्टर ) के टेढ़े-मेढ़े आकार (शेष सर्प से मिलता – जुलता ) के साथ-साथ कचरे के संस्कृत नाम के आधार पर दिया गया है।
त्वरित –कम्पोस्टिंग ( रैपिड कंपोस्टिंग ) तकनीक वृक्ष की छाल से पृथक की गई ट्राइकोडर्मा कोनिंजियोप्सिस नामक सेलुलोलिटिक कवक पर आधारित है। यह पर्यावरण और मानव द्वारा प्रयोग ( हैंडलिंग ) के लिए सुरक्षित है। इसका सूत्रीकरण रसोई के कचरे, कृषि अपशिष्ट, बगीचे के कचरे ( नारियल के पत्तों सहित सूखे पत्ते ) और मंदिर से निकले कचरे से खाद बनाने में सक्षम है। यह विधि पूरी तरह एरोबिक प्रकृति की होने के कारण दुर्गंध रहित है और इसलिए भी समाज में इसकी अधिक स्वीकार्यता है।
यह कार्यशाला ( वर्कशॉप ) एक बहुत ही जीवंत और परस्पर विचार विमर्श प्रतिक्रिया ( इंटरैक्टिव फीडबैक ) सत्र के साथ समाप्त हुई, जिसमें इच्छुक उद्यमियों ने बीएआरसी के विशेषज्ञों के एक पैनल के साथ बातचीत की और इस वर्कशॉप की सफलता आने वाले वर्षों में कुछ सफल स्टार्ट-अप शुरू करने के लिए आश्वस्त करती है ।
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