राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले का महारानी अब्बक्का की 500वीं जयंती पर बयान

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली,25 मार्च।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने वीरांगना महारानी अब्बक्का की 500वीं जयंती पर एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने महारानी अब्बक्का की वीरता और देशभक्ति को याद करते हुए कहा कि वह भारत के गौरवशाली इतिहास की एक अद्वितीय योद्धा थीं, जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं के खिलाफ अदम्य साहस और नेतृत्व का परिचय दिया।

दत्तात्रेय होसबाले ने अपने बयान में कहा कि महारानी अब्बक्का भारत की पहली स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं, जिन्होंने 16वीं शताब्दी में पुर्तगाली आक्रांताओं के खिलाफ संघर्ष किया था। वह तुलुनाडु की शासक थीं और उन्होंने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए कई युद्ध लड़े। उनकी निडरता, सैन्य रणनीति और देशभक्ति आज भी प्रेरणा का स्रोत है।

सरकार्यवाह होसबाले ने कहा कि भारतीय इतिहास में महारानी अब्बक्का का योगदान अविस्मरणीय है। उन्होंने विदेशी ताकतों को करारा जवाब दिया और स्वतंत्रता व स्वाभिमान की रक्षा के लिए अंतिम सांस तक लड़ीं। उनके बलिदान और संघर्ष को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने की आवश्यकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि “इतिहास के पन्नों में जिन महापुरुषों और वीरांगनाओं को उचित सम्मान नहीं मिला, उन्हें पहचान दिलाने का कार्य हमारी जिम्मेदारी है। महारानी अब्बक्का की जयंती हमें हमारे महान अतीत की याद दिलाती है और राष्ट्रभक्ति की भावना को प्रबल करती है।”

सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने भारतीय युवाओं से आह्वान किया कि वे महारानी अब्बक्का के जीवन से प्रेरणा लें और राष्ट्र के प्रति समर्पण और निष्ठा को अपने जीवन में अपनाएं। उन्होंने कहा कि “आज के युग में भी हमें उनके साहस, संकल्प और स्वाभिमान से सीखने की जरूरत है, ताकि हम अपने देश की रक्षा और समृद्धि के लिए निरंतर कार्य कर सकें।”

महारानी अब्बक्का की 500वीं जयंती के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। संघ और अन्य सामाजिक संगठनों द्वारा व्याख्यान, प्रदर्शनी और संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है, ताकि अधिक से अधिक लोग उनकी वीरता से परिचित हो सकें।

दत्तात्रेय होसबाले के बयान ने एक बार फिर इस महान योद्धा को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की आवश्यकता पर जोर दिया। महारानी अब्बक्का की 500वीं जयंती केवल एक ऐतिहासिक अवसर नहीं, बल्कि राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा और संघर्षशीलता की प्रतीक है। उनके बलिदान और साहस को याद करते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि देशभर में उनकी गाथा को और अधिक प्रचारित किया जाए, जिससे भारतीय संस्कृति और इतिहास का असली गौरव उजागर हो सके।

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