समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 2 अप्रैल। औद्योगिक गलियारों जैसी बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि देने में राज्य बहुत उत्साह नहीं दिखा रहे हैं। यह बात कंज्यूमर अफेयर्स, फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन मिनिस्टर पीयूष गोयल ने राज्यसभा में कही। उन्होंने प्रश्नकाल के दौरान उत्तर देते हुए कहा, ‘बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है, लेकिन यह सत्य है कि भूमि उपलब्ध कराने में जिस तरह की तेजी राज्य सरकारों को दिखानी चाहिए थी, वह नहीं दिखा रहे हैं।’
पूरी जमीन अभी तक हस्तांतरित नहीं की
राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान उन्होंने सदन को यह भी बताया कि कुछ राज्यों ने दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कारिडोर (डीएमआइसी) जैसी परियोजनाओं के लिए पूरी जमीन अभी तक हस्तांतरित नहीं की है। यही वजह है कि कई परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही डीएमआइसी को 2011 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अनुमोदित किया था, लेकिन तत्कालीन सरकार ने इसके लिए पर्याप्त धन उपलब्ध नहीं कराया था।
इस परियोजना को पहली बार वर्ष 2008 में मंजूरी दी गई थी
पीयूष गोयल ने सदन को बताया कि वास्तव में इस परियोजना को पहली बार वर्ष 2008 में मंजूरी दी गई थी, लेकिन ना तो इसे अधिसूचित किया गया और ना ही धन उपलब्ध कराया गया। गोयल ने भी सदस्यों को अपने-अपने राज्यों को इन बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को लागू करने में अपना समर्थन और सहयोग देने की बात कही।
टीआरएस सरकार किसानों को बना रही उल्लू
उन्होंने राज्यसभा में यह आरोप भी लगाया कि धान खरीद को लेकर तेलंगाना की सत्तारूढ़ पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) राज्य के अपने किसानों को उल्लू बना रही है। गोयल ने कहा कि टीआरएस को किसानों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। उन्होंने जोर दिया कि केंद्र तेलंगाना से उसी प्रकार चावल खरीदता रहा है जैसा वह पंजाब में करता है। एफसीआई ने सभी राज्यों के साथ एक समझौता किया है और उन्हें अपनी मांग के अनुसार उबले हुए चावल खरीदने और अतिरिक्त अनाज को केंद्रीय पूल में देने को कहा है।
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