समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 28जुलाई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शनिवार को नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक बीच में ही छोड़ दी। उन्होंने आरोप लगाया कि विपक्ष की एकमात्र प्रतिनिधि होने के बावजूद उन्हें भाषण के बीच में ही रोक दिया गया और माइक बंद कर दिया गया। ममता का कहना है कि उन्हें सिर्फ 5 मिनट बोलने का मौका दिया गया और उनकी बात पूरी हुए बिना ही माइक बंद कर दिया गया।
सरकार ने आरोपों को खारिज किया
हालांकि, सरकार ने ममता बनर्जी के आरोपों को पूरी तरह से गलत बताया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मीडिया से कहा, “ममता बनर्जी का यह दावा कि उनका माइक बंद कर दिया गया, पूरी तरह से झूठ है। सभी मुख्यमंत्रियों को समय दिया गया था और वह स्क्रीन पर प्रदर्शित किया गया था। ममता बनर्जी का माइक बंद करने का दावा पूरी तरह से झूठा है।”
सीतारमण ने ममता के आरोपों को किया खारिज
निर्मला सीतारमण ने आगे कहा, “हर मुख्यमंत्री को बोलने के लिए उचित समय दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ममता बनर्जी ने झूठा दावा किया कि उनका माइक बंद कर दिया गया। उन्हें सच बोलना चाहिए, झूठ पर आधारित कथा का निर्माण करने के बजाय।”
पीआईबी फैक्ट चेक में सामने आई सच्चाई
भारत सरकार के भ्रामक खबरों का फैक्ट चेक कर रही पीआईबी की फैक्ट चेक इकाई ने ममता बनर्जी के बयान का जवाब देते हुए कहा, “नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की बैठक के दौरान ममता बनर्जी का माइक्रोफोन बंद करने का दावा भ्रामक है। घड़ी ने केवल यह दिखाया कि उनके बोलने का समय समाप्त हो गया था। यहां तक कि घंटी भी नहीं बजाई गई।”
पीआईबी ने आगे बताया कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की बारी दोपहर के भोजन के बाद आती थी, लेकिन उनके आधिकारिक अनुरोध पर उन्हें सातवें वक्ता के रूप में शामिल किया गया, क्योंकि उन्हें जल्दी लौटना था।
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