समग्र समाचार सेवा
वॉशिंगटन/बीजिंग,10 अप्रैल। अमेरिका और चीन के बीच जारी आर्थिक जंग अब निर्णायक मोड़ की ओर बढ़ती दिखाई दे रही है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के चुनावी दावेदार डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने पुराने अंदाज़ में चीन पर प्रहार किया है। ताज़ा घटनाक्रम में ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि यदि वे दोबारा सत्ता में आए, तो चीन से आयातित सामान पर 125% तक टैरिफ लगा दिया जाएगा।
यह कदम भले ही अचानक प्रतीत हो रहा हो, लेकिन इसके पीछे एक गहरी रणनीति है। यह केवल एक व्यापारिक निर्णय नहीं है, बल्कि एक भू-राजनीतिक चाल है, जिसका मकसद है—चीन की आर्थिक रीढ़ को झटका देना।
अमेरिका पहले भी चीन पर टैरिफ लगा चुका है, लेकिन 125% का आंकड़ा बेहद आक्रामक और असामान्य है। इसका सीधा मतलब है—“मेड इन चाइना” को अमेरिकी बाजार से बाहर निकालने की कोशिश।
इस नीति के तहत चीन से आने वाले स्टील, इलेक्ट्रॉनिक्स, सोलर पैनल, ऑटो पार्ट्स, टेक्सटाइल, मोबाइल उपकरण जैसे तमाम उत्पादों पर इतना भारी टैक्स लगाया जाएगा कि वे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी ही न रह सकें।
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आर्थिक दबाव:
ट्रंप इस टैरिफ के जरिए चीन के उत्पादन और निर्यात तंत्र पर चोट करना चाहते हैं। उनके अनुसार चीन ने अमेरिकी टेक्नोलॉजी और ओपन ट्रेड सिस्टम का फायदा उठाया है। अब समय आ गया है कि उसे उसी की भाषा में जवाब दिया जाए। -
चुनावी हथियार:
घरेलू मोर्चे पर ट्रंप इस नीति को ‘अमेरिकन जॉब्स फर्स्ट’ के रूप में पेश कर रहे हैं। इससे उन्हें मिडवेस्ट और रस्ट बेल्ट जैसे औद्योगिक राज्यों में मज़दूर वर्ग का समर्थन मिलने की उम्मीद है, जो चीन को नौकरियां छीनने वाला मानते हैं।
125% टैरिफ का अर्थ है कि चीन का अमेरिका में अरबों डॉलर का निर्यात सीधे संकट में आ जाएगा। ऐसे समय में जब चीन पहले से ही स्लोइंग ग्रोथ, बेरोजगारी और घरेलू मांग की कमी से जूझ रहा है, यह कदम उसके लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि यह नीति लागू होती है, तो चीन को विकल्प तलाशने होंगे—जैसे भारत, दक्षिण एशिया, या अफ्रीका में नए बाजार खोजना। पर अमेरिका जितना बड़ा और उपभोगकर्ता बाजार मिलना आसान नहीं होगा।
यह सवाल भी अहम है। अमेरिकी उपभोक्ताओं को चीन से आने वाले सस्ते उत्पादों के बजाय महंगे विकल्पों से काम चलाना होगा। महंगाई बढ़ सकती है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और रोज़मर्रा के उपयोग की वस्तुओं में। लेकिन ट्रंप का तर्क है कि इससे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और अमेरिका आत्मनिर्भर बनेगा।
125% टैरिफ की धमकी सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि एक ‘पावर गेम’ है। ट्रंप इसे अमेरिकी ताकत की वापसी के तौर पर पेश कर रहे हैं, जबकि चीन के लिए यह उसकी आर्थिक पकड़ ढीली पड़ने का संकेत है।
अब देखने वाली बात यह होगी कि 2024 के चुनाव में ट्रंप की वापसी होती है या नहीं। लेकिन अगर वह सत्ता में आते हैं, तो दुनिया को एक और ट्रेड वॉर के लिए तैयार रहना होगा—इस बार कहीं ज़्यादा तीखा और निर्णायक।
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