सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करने से किया इनकार, हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे कमिश्नर
समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 24 मार्च।
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया और उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट की न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी की पीठ ने आज बुधवार को आईपीएस परमबीर सिंह की याचिका पर फैसला दिया है।
जानकारी के मुताबिक मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली और उन्होंने कहा कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “उच्च न्यायालय से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह से पूछा कि उन्होंने अपनी याचिका में महाराष्ट्र के गृह मंत्री को पार्टी क्यों नहीं बनाया है, क्योंकि उन पर आरोप लगाए गए हैं।
Supreme Court starts hearing the petition filed by Former Mumbai Police Commissioner, Param Bir Singh seeking CBI investigation in the alleged corrupt practices of Maharashtra Home Minister Anil Deshmukh.
— ANI (@ANI) March 24, 2021
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री के खिलाफ मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर द्वारा लगाए गए आरोप बहुत गंभीर हैं। कोर्ट ने परम बीर सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी से पूछा हैं कि वह सीबीआई जांच की मांग के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट से संपर्क क्यों नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ ‘‘निष्पक्ष एवं स्वतंत्र’’ सीबीआई जांच की मांग की थी।
आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने शीर्ष कोर्ट से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से उनके तबादले को ‘मनमाना’ और ‘गैरकानूनी’ होने का आरोप लगाया है और इस आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध किया था. सिंह ने एक अंतरिम राहत के तौर पर अपने तबादला आदेश पर रोक लगाने और राज्य सरकार, केंद्र तथा सीबीआई को देशमुख के आवास की सीसीटीवी फुटेज फौरन कब्जे में लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया था। उन्होंने अपनी याचिका में कहा था, ”याचिकाकर्ता ने साक्ष्यों को नष्ट कर दिये जाने से पहले, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के कदाचार की पूर्वाग्रह रहित, अप्रभावित, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने का इस अदालत से अनुरोध करते हुए रिट अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया है।”
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