सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, 3 साल में विज्ञापन के लिए खर्च किए गए बजट का मांगा हिसाब

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 6जुलाई। RRTS के दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ सेक्शन से जुड़ा है. इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 30 हजार 274 करोड़ रुपए है. इसमें से दिल्ली सरकार को 1 हजार 180 करोड़ रुपए का योगदान करना था. 765 करोड़ रुपए वो दे चुकी है. 415 करोड़ रुपए का भुगतान बाकी है.

केजरीवाल सरकार के विज्ञापन का बजट :-
◆ 2015-16: 122 करोड़
◆ 2016-17: 176 करोड़
◆ 2017-18: 190 करोड़
◆ 2018-19: 100 करोड़
◆ 2019-20: 200 करोड़
◆ 2020-21: 326 करोड़
◆ 2021-22: 568 करोड़
◆ 2022-23: 268 करोड़

आरआरटीएस प्रोजेक्ट में सहयोग न करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं।

■ कोर्ट ने कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व की परियोजना है, इसलिए सरकार विज्ञापन खर्चा के डिटेल्स फाइल करे.
■ केजरीवाल सरकार अक्सर फंड न होने का रोना रोती है। लेकिन इस बार ये हरकत उसकी की जान पर बवाल बन सकती है।
■ सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को फटकार लगाकर हिदायत दी है कि पिछले तीन साल में विज्ञापनों पर हुए खर्च का ब्योरा कोर्ट के सामने पेश करें।
■ दिल्ली सरकार के फंड न देने की वजह से दिल्ली-अलवर और दिल्ली-पानीपत कॉरीडोर का काम रुका हुआ है।
■ दिल्ली-मेरठ कॉरीडोर का काम भी फंड न दिए जाने की वजह से ठप पड़ा हुआ है।
■ जस्टिस कौल का कहना था कि अगर जरूरत पड़ी तो हम आदेश जारी करके विज्ञापनों के लिए खर्च होने वाले पैसे को RRTS प्रोजेक्ट की तरफ डाईवर्ट कराएंगे। लेकिन पहले हमें ये तो पता चल जाए कि आपके पास मौजूद फंड की क्या स्थिति है।

आज सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार को आईना दिखा दिया है. दिल्ली सरकार दिल्ली के विकास कार्यों पर पैसा खर्च करने के बजाए अपने प्रचार पर जनता का पैसा बर्बाद कर रही है. AAP सरकार का विज्ञापन पर किया गया खर्च काफी समय से जांच के दायरे में है. साल 2023 की शुरुआत में राजनीतिक विज्ञापनों के लिए सरकारी धन के कथित दुरुपयोग के लिए AAP प्रमुख केजरीवाल को 97 करोड़ रुपए की वसूली का नोटिस जारी किया गया था. जुर्माने और ब्याज को जोड़कर इस राशि को 163.62 करोड़ रुपए कर दिया गया था.

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