सुप्रीम कोर्ट आज सुनेगा वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की चुनौती; किरन रिजिजू का कहना है कि न्यायालय विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट आज दोपहर 2 बजे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। यह याचिकाएं कई मुस्लिम संगठनों और कुछ राज्य सरकारों द्वारा दायर की गई हैं, जो इस नए संशोधन के खिलाफ हैं। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस के.वी. विश्वनाथन की बेंच द्वारा की जाएगी।

सुनवाई से पहले, केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ कानून के खिलाफ कानूनी चुनौती पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने विश्वास जताया कि सुप्रीम कोर्ट विधायी मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा और कहा, “मुझे विश्वास है कि सुप्रीम कोर्ट विधायी प्रक्रिया में हस्तक्षेप नहीं करेगा। संविधान में शक्तियों का विभाजन स्पष्ट रूप से परिभाषित है, और हमें एक-दूसरे की भूमिकाओं का सम्मान करना चाहिए। न्यायपालिका का सरकार के मामलों में हस्तक्षेप कोई लाभकारी कदम नहीं होगा।”

इन याचिकाओं को कई मुस्लिम संगठनों ने दायर किया है, जिनमें एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, आप नेता अमानतुल्लाह खान, धार्मिक नेता मौलाना अरशद मदनी, राजद नेता मनोज झा और आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शामिल हैं। इसके साथ ही जमीयत-उलमा-ए-हिंद ने भी इस नए संशोधन के खिलाफ याचिका दायर की है। इसके अलावा भाजपा शासित राज्यों राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और असम की सरकारों ने भी याचिकाएं दायर की हैं।

केंद्रीय सरकार ने अपनी याचिका में शीर्ष न्यायालय से आग्रह किया है कि वह कोई भी निर्णय देने से पहले सरकार के तर्कों पर विचार करे। याचिकाएं मुख्य रूप से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देती हैं, जिसे कई लोग वक्फ संपत्तियों के संचालन और प्रशासन पर इसके प्रभाव को लेकर विवादित मानते हैं।

यह मामला भारतीय राजनीति और धर्मनिरपेक्षता के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वक्फ संपत्तियों की प्रशासनिक शक्ति और उनके नियंत्रण को लेकर विवाद उठ सकता है। सरकार और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर तीखी बहस हो सकती है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि सुप्रीम कोर्ट किस दिशा में फैसला देता है।

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