सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: बच्चों के दुर्घटना क्लेम में अब कुशल श्रमिक वेतन के हिसाब से मिलेगी क्षतिपूर्ति

समग्र समाचार सेवा
नई दिल्ली, 8 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक दुर्घटना क्लेम मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि दुर्घटना में बच्चे की मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में क्षतिपूर्ति की गणना अब कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के हिसाब से की जाएगी।

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में दुर्घटना के समय कुशल श्रमिक का न्यूनतम वेतन ही बच्चे की आय मानी जाएगी। यदि दावेदार व्यक्ति इस संबंध में दस्तावेज़ पेश नहीं कर पाता, तो बीमा कंपनी इस जिम्मेदारी की पूर्ति करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश की प्रति सभी मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों को भेजने का निर्देश दिया है, ताकि फैसले का सख्ती से पालन हो सके।

फैसले का महत्व

पहले दुर्घटना में बच्चों की मृत्यु या स्थायी दिव्यांगता की स्थिति में क्षतिपूर्ति की गणना नोशन इनकम के आधार पर की जाती थी, जो वर्तमान में 30 हजार रुपये प्रतिवर्ष निर्धारित थी। अब यह गणना मध्य प्रदेश में कुशल श्रमिक के न्यूनतम वेतन के अनुसार होगी। वर्तमान में यह वेतन 14,844 रुपये मासिक यानी 495 रुपये प्रतिदिन निर्धारित है।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि दुर्घटना के पीड़ित बच्चों के परिवारों को वास्तविक और उचित क्षतिपूर्ति मिले।

मामला कैसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा

मामला 14 अक्टूबर 2012 का है, जब इंदौर निवासी आठ वर्षीय हितेश पटेल सड़क पर पिता के साथ खड़ा था और एक वाहन ने उसे टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में हितेश को गंभीर चोटें आईं और स्थायी दिव्यांगता का सामना करना पड़ा।

मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के समक्ष हितेश ने 10 लाख रुपये की क्षतिपूर्ति का दावा किया। न्यायालय ने इसे मानते हुए 30 प्रतिशत दिव्यांगता के आधार पर 3 लाख 90 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति बीमा कंपनी को देने का आदेश दिया।

हाई कोर्ट ने इस फैसले को चुनौती दी और ध्यान में रखते हुए कि हितेश की आयु केवल आठ वर्ष है, क्षतिपूर्ति राशि बढ़ाकर 8 लाख 65 हजार रुपये कर दी। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट में गया।

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 35 लाख 90 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया। वकील राजेश खंडेलवाल ने कहा कि यह फैसला पूरे देश में चल रहे दुर्घटना दावा प्रकरणों के लिए मील का पत्थर साबित होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि अब से बच्चे या उनके परिवारों को कुशल श्रमिक के वेतन के हिसाब से न्यायपूर्ण और वास्तविक मुआवजा मिलेगा। इससे बच्चों के भविष्य और उनकी देखभाल में राहत मिलेगी।

इस निर्णय का असर पूरे देश में मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरणों और बीमा कंपनियों के निर्णयों पर दिखाई देगा और बच्चों के हितों की रक्षा में यह कदम ऐतिहासिक माना जा रहा है।

 

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