कोलकाता में मनाया गया धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का 118वाँ प्राकट्य दिवस: हिन्दू राष्ट्र और गौ-संरक्षण का संकल्प

धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के आदर्शों पर चिंतन: कोलकाता में गूंजा हिन्दू राष्ट्र और गौ-सेवा का आह्वान

  • धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का 118वाँ प्राकट्य दिवस कोलकाता में श्रद्धापूर्वक मनाया गया।
  • कार्यक्रम में भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने और गौमाता के संरक्षण के प्रति जागरूकता पर जोर दिया गया।
  • वक्ताओं ने वैदिक सनातन हिन्दू धर्म और संस्कृति के अनुसरण की प्रेरणा दी।

समग्र समाचार सेवा
कोलकाता, 27 जुलाई, 2025: भारत में सनातन हिन्दू धर्म के महान ध्वज संवाहक और गोमाता के संरक्षण के प्रति प्रेरणा देने वाले धर्म सम्राट स्वामी करपात्री जी महाराज का 118वाँ प्राकट्य दिवस आज कोलकाता में आस्था और भक्ति भावना के साथ मनाया गया। इस पावन अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों से आए संतों, विद्वानों, समाजसेवियों और श्रद्धालु भक्तों ने स्वामी करपात्री जी महाराज के आदर्शों और उनके राष्ट्रोत्कर्ष के संकल्प को याद किया। यह आयोजन सनातन धर्म के मूल्यों को पुनः स्थापित करने और भारतीय संस्कृति को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किया गया था।

 

हिन्दू राष्ट्र के प्रति जागरूकता और वैदिक संस्कृति का अनुसरण

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, पूर्व विधायक सुरेन्द्र बहादुर सिंह ने स्वामी करपात्री महाराज के जीवन और दर्शन का स्मरण किया। उन्होंने उपस्थित श्रद्धालु भक्तों को भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लक्ष्य के प्रति जागरूक रहने की प्रेरणा दी। सिंह ने कहा कि स्वामी जी का जीवन हमें वैदिक सनातन हिन्दू धर्म और संस्कृति का पूरी निष्ठा के साथ अनुसरण करने की सीख देता है। उन्होंने युवा पीढ़ी से अपनी जड़ों से जुड़े रहने और नैतिक मूल्यों को अपनाने का आह्वान किया।

कार्यक्रम में प्रमुख अतिथि के रूप में बंधुगौरव ब्रह्मचारी, समाजसेवी पण्डित लक्ष्मीकांत तिवारी, डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, जे.पी. सिंह, आचार्य राकेश पाण्डेय, रामप्रसाद सराफ, डॉ. एस.के. अग्रवाल और वरिष्ठ पत्रकार सुधांशु शेखर सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अतिथियों का स्वागत शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज के कृपापात्र शिष्य एवं संयोजक प्रेम चंद्र झा, पोद्दार सेवा ट्रस्ट के चेयरमैन डॉ. अशोक पोद्दार, देवाशीष गोस्वामी, पिंकी गोस्वामी एवं कार्यकर्ताओं ने किया।

धार्मिक निष्ठा और सुसंस्कारों का महत्व

डॉ. प्रेम शंकर त्रिपाठी ने इस तरह के धार्मिक आयोजनों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आयोजकों को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यक्रम समाज में धार्मिक निष्ठा को मजबूत करते हैं और बच्चों व युवा पीढ़ी को अच्छे संस्कार देने में सहायक होते हैं। डॉ. अशोक पोद्दार ने कल्याणी में निर्माणाधीन भगवान जगन्नाथ के भव्य मंदिर, गुरुकुल गौशाला और अन्य सामाजिक सेवा प्रकल्पों की जानकारी दी। उन्होंने सभी से इन पवित्र कार्यों में सहयोग प्रदान करने का निवेदन किया, ताकि ये प्रकल्प शीघ्र पूर्ण हो सकें और समाज को उनका लाभ मिल सके।

संयोजक प्रेमचंद्र झा ने धर्म सम्राट करपात्री जी महाराज के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सनातन मान बिंदुओं की रक्षा के लिए वैदिक गुरुकुल मार्ग से शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। झा ने बताया कि यदि वेद सम्मत कर्मकांडों का पालन किया जाए तो धर्म के प्रति आस्था जागेगी, जिससे भारत अखंड होगा और पूज्य शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज जी के राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के माध्यम से हिन्दू राष्ट्र के लिए चलाए जा रहे जागरूकता कार्यक्रमों को बल मिलेगा।

गौमाता का संरक्षण: एक सामूहिक संकल्प

कार्यक्रम के सभी वक्ताओं ने गौमाता के संरक्षण और गौ-संवर्धन के उद्देश्य से गोसेवा का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने गौमाता को भारतीय संस्कृति का आधार स्तंभ बताया और कहा कि गौ-रक्षा केवल एक धार्मिक कार्य नहीं, बल्कि राष्ट्र की उन्नति और पर्यावरण संतुलन के लिए भी अनिवार्य है। इस अवसर पर पुरुषोत्तम तिवारी, अशोक लाडसरिया, प्रकाश किल्ला, राजकुमार मूंधड़ा, गोकर्ण शोरेवाल, महेश आचार्य, अशोक कंदोई, शंकर बक्श सिंह, संजय सांगानेरिया, नीलेश झा, उषा गुप्ता, नमोनाथ झा, विकास पाठक, नीरज झा, जगदम्बा प्रसाद मिश्रा, हरेंद्र राय, डॉ. मायाशंकर झा, डॉक्टर सत्य प्रकाश तिवारी, मिथिलेश झा, अनिल झा, वैद सूरज प्रकाश शर्मा, बद्री विक्रम थापा, तिलक राम शर्मा, बद्रीनाथ झा, भारत मिश्रा, प्रकाश पांडे, कमल मैत्रो, पवन मिश्रा, बेला बनर्जी, सरिता झा, राकेश कुमार, राजकुमार साहू, कपिल जोशी, गोपाल मिश्रा, शोभा कांत ठाकुर, चिंतामणि पांडे, रामचंद्र मिश्र, सोनू त्रिपाठी, मालती तिवारी, अभय उपाध्याय, राम लाल अग्रवाल सहित पीठ परिषद, आदित्य वाहिनी, आनन्द वाहिनी एवं अन्य सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता सक्रिय रूप से उपस्थित रहे। यह आयोजन स्वामी करपात्री जी महाराज के दिखाए मार्ग पर चलने और सनातन धर्म के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराने का एक सफल प्रयास रहा।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.