Browsing Tag

उमड़ते घुमड़ते

 कल्पना के उमड़ते घुमड़ते बादल

पार्थसारथि थपलियाल आज मुझे अपनी लिखी जा रही सीरीज को आगे बढ़ाना था लेकिन मौसम ने अंगड़ाई ली, तन्हाई ने पंख दिए आसमान में बादल थे। ये बादल ले उड़े अपने साथ ऊंचाई पर। ये बादल वही थे जो वर्षों पहले रामटेक आश्रम में महाकवि कालिदास ने देखे…