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संस्कृति का विकृत रूप

चिंतन- संस्कृति का विकृत रूप

पार्थसारथि थपलियाल भारतीय चिंतन परंपरा में ईश्वर की उपस्थिति सर्वत्र मानी गई गई। ईशोपनिषद में कहा गया है कि "ईशावास्यमिदं सर्वं यदकिंचिदजगत्यां जगत" .. संसार की प्रत्येक वस्तु में ईश्वर का वास है। वैदिक संस्कृति में ईश्वर को ब्रह्म…