शिंदे की राह क्यों आसान नहीं
’इन चुप्पियों के हाथ कैसे रंगे हैं खून से
क्षत-विक्षत शब्द पड़े हैं जो हर तरफ मौन से’
एकनाथ शिंदे के सिर अभी-अभी तो सिरमौर का ताज सजा है, गाजे-बाजों का शोर भी हर ओर गुंजायमान है, फिर भी क्या बात है कि चुप सन्नाटों की बतकहियां…