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narration

किताबें व कथन

कुमार राकेश किताबें न तो कहती है, न ही सुनती है. वो तो सिर्फ़ भूख , बेचेनी , तड़प , चाहत के साथ एक अपनापन पैदा करती है नयी सोच के लिए नई क्रांति के लिए , किताबों की दोस्ती, लाजवाब होती है . उसकी दोस्ती आपको मन,वचन व…