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 मंथन- पंचनद : दैशिक शास्त्र (12)

पार्थसारथि थपलियाल विचार मंथन का उद्देश्य होता है हमें जो मार्ग पकड़ना है उस पर चलने से पहले हम विवेकपूर्ण चिंतन कर उस विचार को मथ लें ताकि यात्रा सुनियोजित तरीके से सफल हो। इस प्रकार का मंथन इस सत्र में हुआ। अगला सत्र दैशिक शास्त्र पर…

मंथन- पंचनद : विमर्श का सांगोपांग मंथन (11)

पार्थसारथि थपलियाल 15 जून को जब सुबह सुबह की परिवह पवनें चलने लगी थी। (परिवह, आठ प्रकार की पवनों में से एक)। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय अतिथि गृह के पीछे मखमली दूब में स्वास्थ्य के प्रति सावधान प्रतिभागी अपने अपने आसान…

मंथन- पंचनद : विमर्श का सांगोपांग मंथन (6) – सु-फलता और सफलता देती कार्य योजनाएं

पार्थसारथि थपलियाल 14 जून को भोजनान्तर काल के एक सत्र में पंचनद शोध संस्थान के विभिन्न विभागों के प्रमुखों से उनके विभागों से प्रतिवेदन प्राप्त करने का था। सुबह के एक सत्र में पंचनद के निदेशक डॉ. कृष्ण चंद्र पांडेय ने बताया था कि पंचनद…